ईश्वर सत्य है, सत्य नारायण हैं, नारायण ही सनातन धर्म के प्रतीक

ईश्वर सत्य है सत्य नारायण हैं नारायण ही सनातन धर्म के प्रतीक है और मां लक्ष्मी के स्वामी समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले प्रभु लक्ष्मीनारायण जी हमें देश धर्म भक्ति के लिए शक्ति बुद्धि का आशीर्वाद प्रदान कीजिए।
।।जय जय नारायण नारायण हरि: हरि:।।
नारायण सेवक पंडित राजीव शंकर शुक्ल

।। शुभम – 03 मार्च 2022।।                             शुभमस्तु-  गुरुवार।।
विक्रम संवत – 2078
शक संवत -1943
अयन – उत्तरायण
ऋतु – वसंत ऋतु
मास – फाल्गुन
पक्ष – शुक्ल
तिथि – प्रतिपदा रात्रि 09:36 तक तत्पश्चात द्वितीया
नक्षत्र – पूर्व भाद्रपद 04 मार्च रात्रि 01:56 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद
योग – साध्य 04 मार्च रात्रि 03:29 तक तत्पश्चात शुभ
राहुकाल – दोपहर 01:30 से शाम 03:00 तक
सूर्योदय – 06:58
सूर्यास्त – 18:42
दिशाशूल – दक्षिण दिशा में
व्रत पर्व विवरण- प्रतिपदा

प्रायश्चित जप पूर्वजन्म या इस जन्म का जो भी कुछ पाप-ताप है, उसे निवृत्त करने के लिए अथवा संचित नित्य दोष के प्रभाव को दूर करने के लिए प्रायश्चितरूप जो जप किया जाता है उसे प्रायश्चित जप कहते हैं।
कोई पाप हो गया, कुछ गलतियां हो गयीं, इससे कुल-खानदान में कुछ समस्याएँ हैं अथवा अपने से गलती हो गयी और आत्म-अशांति है अथवा भविष्य में उस पाप का दंड न मिले इसलिए प्रायश्चित – संबंधी जप किया जाता है।
ॐ ऋतं च सत्यं चाभिद्धात्तपसोऽध्यजायत।
ततो रात्र्यजायत तत: समुद्रो अर्णव:।।
समुद्रादर्णवादधि संवत्सरो अजायत।
अहोरात्राणि विदधद्विश्वस्य मिषतो वशी।।
सूर्याचन्द्रमसौ धाता यथापूर्वमकल्पयत्
दिवं च पृथिवीं चान्तरिक्षमथो स्व:।। (ऋग्वेद :मंडल १०, सूक्त १९०, मंत्र १ – ३ )

वेदमंत्रों को पढ़कर त्रिकाल संध्या करें तो किया हुआ पाप माफ हो जाता है, उसके बदले में दूसरी नीच योनियाँ नहीं मिलतीं। इस प्रकार की विधि है। जहाँ भगवान व उनके भक्तों का यश गाया जाता है वहीँ भगवान की प्राणप्रिया भगवती लक्ष्मी सदा विराजती हैं।