Friday, February 14, 2025
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498A केस में सुप्रीम कोर्ट का अहम् फैसला: अब पत्नी नहीं फंसा पाएगी पति के रिश्तेदारों को

 

 

पटना: जो कानून IPC 498a केस महिलाओ की सुरक्षा के लिए बनाया गया था आज वो समाज के लिए चिंता का विषय बन गया है। जब पति पत्नी की आपस में नहीं बनती तो पति और ससुराल वालो को सबक सिखाने के लीये पत्निया कानून का हथियार बनाकर इस्तेमाल करती है। दहेज़ उत्पीड़न IPC की धारा 498a का इस्तेमाल महिलाये अब पति और ससुराल वालो से बदले की भावना से करती है।

 

सुप्रीम कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना मामले में बड़ा आदेश दिया है। उसने कहा है कि 498ए दहेज प्रताड़ना मामले में पति के रिलेटिव के खिलाफ स्पष्ट आरोप के बिना केस चलाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। न्‍यायालय के अनुसार, पति के रिश्तेदारो के खिलाफ सामान्‍य और बहुप्रयोजन वाले आरोप के आधार पर केस चलाया जाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

 

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि पति के रिलेटिव यानी महिला के ससुराल वालों के खिलाफ जनरल आरोप के आधार पर अगर मुकदमा चलाया जाता है तो यह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग की तरह होगा।

 

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आजकल दहेज प्रताड़ना यानी आईपीसी की धारा-498ए के प्रावधान का पति के रिश्तेदारों के खिलाफ अपना स्कोर सेटल करने के लिए टूल की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रॉब्लम ये है की इस तरह के क्रिमिनल केस जिसमें बरी होने के बाद भी आरोपी के लिए यह गंभीर दाग छोड़ जाता है समाज में उसकी गुड विल ख़राब हो जाती है। महिला के इस कानून को गलत इस्तेमाल के लिए रोकना चाहिए ।

 

क्या था पूरा मामला?

 

महिला ने अपने पति और उसके रिलेटिव (ससुरालियों) के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज किया गया था। एफआईआर और कानूनी कार्रवाई खारिज करने के लिए पति और उसके रिश्तेदारों ने पटना हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। हाई कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में पति के रिश्तेदारों यानी महिला के ससुरालियों ने अर्जी दाखिल कर क्रिमिनल केस खारिज करने की गुहार लगाई। याचिका में कहा गया कि उन्हें प्रताड़ित करने के लिए यह केस दर्ज किया गया है। वहीं महिला का आरोप था कि उसे दहेज के लिए मानसिक और शारीरिक तौर पर प्रताड़ित किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सवाल यह है कि क्या पति के रिश्तेदारों यानी महिला के ससुरालियों के खिलाफ जनरल और बहुप्रयोजन वाले आरोप को खारिज किया जाए या नहीं?

 

सुप्रीम कोर्ट ने क्‍या कहा?

राजेश शर्मा व अन्य बनाम यूपी राज्य (2018) 10 एससीसी 472, अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य और अन्य (2014) 8 एससीसी 273, प्रीति गुप्ता और अन्य बनाम झारखंड राज्य और अन्य (2010) 7 एससीसी 667, गीता मेहरोत्रा ​​​​और अन्य बनाम यूपी राज्य और अन्य (2012) 10 एससीसी 741, के सुब्बा राव बनाम तेलंगाना राज्य (2018) 14 एससीसी 452 जैसे फैसलों का जिक्र करते हुए अदालत ने कहा कि दहेज प्रताड़ना मामले में कानून का दुरुपयोग चिंता का विषय है। पति के रिलेटिव के खिलाफ इस कानून का दुरुपयोग होता है और उस दौरान उसके असर को नहीं देखा जाता है। अगर जनरल और बहुप्रयोजन वाले आरोप को चेक नहीं किया गया तो यह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। जब तक पहली नजर में पति के रिलेटिव के खिलाफ साक्ष्य न हो तो इस तरह के अभियोजन चलाने को लेकर शीर्ष अदालत ने पहले ही कोर्ट को सचेत कर रखा है।

 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पति की अपील नहीं है। लेकिन, अन्य ससुरालियों ने अर्जी दाखिल की है। हमारा मानना है कि आरोप जनरल और बहुप्रयोजन वाला है। इस तरह केस नहीं चलाया जा सकता है। हम इस मामले में क्रिमिनल कार्रवाई को खारिज करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ विशेष रोल तय नहीं है और जनरल व बहुप्रयोजन वाले आरोप के आधार पर आरोपी के खिलाफ केस नहीं चलाया जा सकता है।

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केस शीर्षकः कहकशां कौसर @ सोनम बनाम बिहार राज्य

केस नंबर| तारीख CrA 195 OF 2022 | 8 फरवरी 2022

कोरमः जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस कृष्ण मुरारी