विद्या भारती मेरठ प्रांत के तत्वावधान में आयोजित हुई विद्या प्रवेश कार्यशाला
संभल। नगर के चंदौसी रोड स्थित सरस्वती विद्या मंदिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल में संभल जिले के विद्या भारती के विद्यालयों की शिक्षिकाओं को विद्या प्रवेश कार्यशाला के माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के कोषाध्यक्ष राकेश अग्रवाल, सदस्य संजय सांख्यधर और प्रधानाचार्य शिव शंकर शर्मा और अमित वार्ष्णेय एवं सुबोध कुमार गुप्ता ने भारत माता के चरणों में पुष्प अर्पण करके किया।
विद्यालय के प्रबंधक अशोक गर्ग ने ऑनलाइन माध्यम से कार्यशाला के सभी प्रतिभागियों को आशीर्वाद एवं शुभकामनाएं प्रदान कीं |
इस अवसर पर बच्चों को नई तकनीकी आधारित भारतीय मूल्यों को सहेजते हुए क्रियाकलाप आधारित शिक्षण प्रदान किए जाने पर चर्चा की गई |
जिला संभल की शिशु वाटिका प्रमुख अंजू वार्ष्णेय ने कहा कि गर्भ से लेकर 6 वर्ष तक के बच्चों को संस्कार आधारित शिक्षा के नए आयाम तैयार किए हैं। इनमें बच्चों को 12 आयामों पर भारतीय वैदिक पद्धति पर आधारित शिक्षा दी जाएगी। इससे बच्चे समर्थ व स्वावलंबी बनेंगे। इसमें आधुनिक शिक्षा भी शामिल रहेगी। इन 12 आयामों में से प्रत्येक आयम का आधा घंटे का कालखंड होगा। इसमें बच्चों को प्रत्येक कालखंड में कमरा बदला जाएगा। पहला स्कूल होगा जिसमें बच्चे हर आधे घंटे में अपनी कक्षा का कमरा बदलेंगे। इस शिक्षा पद्धति में हर कमरे में बच्चो कला, गीत-संगीत, विज्ञान, चित्रकला के माध्यम से शिक्षित किया जाएगा।
मेरठ प्रांत के ग्रामीण शिक्षा के संभाग निरीक्षक हेमराज ने कहा कि गतिविधि आधारित शिक्षण द्वारा छात्र अपना मूल्यांकन और अधिक आसान बना लेता है। इसमें छात्र एवं अध्यापक दोनों मिलकर गतिविधि करते हैं। इससे क्रियात्मकता, सक्रियता व सजगता बनी रहती है और सरसता का वातावरण बना रहता है। विद्यार्थी पढ़ाई को बोझिल एवं उबाऊ नहीं समझता है।
पवॉसा विकासखंड के ए आर पी अमित वार्ष्णेय ने कहा कि ईसीसीई (प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा ) के अन्तर्गत शिशुओं की ज्ञानेन्द्रियों एवं कर्मेन्द्रियों के माध्यम से शिक्षा खेल, खोज एवं गतिविधि आधारित रहेगी । रटने के स्थान पर समझने पर अधिक ध्यान दिया जायेगा । बच्चों का सम्रग मूल्यांकन किया जायेगा ।
न्याय पंचायत भवानीपुर के संकुल शिक्षक सुबोध कुमार गुप्ता ने कहा जब शिक्षक शिक्षण की सहभागितापूर्ण पद्धतियों को प्रयोग करेंगे तो वे उनके फायदे पहचानने लगेंगे। जब शिक्षक खुद फायदों का अनुभव करेंगे तो वे नई पद्धतियां आत्मविश्वास से अपनाएँगे।
कोषाध्यक्ष राकेश अग्रवाल ने कहा विद्यार्थियों को उनकी रचनात्मकता, महत्वपूर्ण सोच और शब्दावली को मौखिक और लिखित रूप में व्यक्त करने की क्षमता सुधारने में मदद करना ही शिक्षा का उद्देश्य होना चाहिए और इस कार्यशाला में यह सार्थकता सिद्ध होती है।
प्रधानाचार्य शिव शंकर शर्मा ने विद्या भारती की मौलिक शैक्षिक संस्कृति के महत्वपूर्ण आयाम को संस्कृत संस्कृति और संस्कार के रूप में परिभाषित किया। शिशु के सार्वभौमिक विकास हेतु विद्यालय परिवार के साथ अभिभावक बंधु का सहयोग अति आवश्यक बताया। इस प्रकार से प्रशिक्षण में बताया गया कि विद्यार्थियों को उनकी रचनात्मकता, महत्वपूर्ण सोच और शब्दावली को मौखिक और लिखित रूप में व्यक्त करने की क्षमता सुधारने में मदद करना ही इस कार्यशाला का उद्देश्य है।
इस अवसर पर शिशु वाटिका प्रमुख आशा गुप्ता, अर्चना शर्मा, रुचिता सिंह, संगीता, खुशी गुप्ता, श्रद्धा मिश्रा, पूजा दात्रेय, शिवानी गुप्ता, ज्योति भटनागर, रूबी, मेघना, पूनम, अंजना वार्ष्णेय, रुचि अग्रवाल, लक्ष्मी पाठक, शिवानी गौतम, कविता तिवारी, कविता सिंह, दीप्ति शर्मा, अर्चना चौधरी आदि ने प्रतिभाग किया |
कार्यक्रम में प्रथम सत्र की अध्यक्षता सदस्य संजय सांख्यधर एवं द्वितीय सत्र की अध्यक्षता कोषाध्यक्ष राकेश अग्रवाल एवं संचालन शिशु वाटिका के सह जिला प्रमुख मुकेश कुमार ने किया |