भाजपा सरकार के इशारे पर न्यायालय ने रद्द किया अधिसूचना-लौटनराम निषाद

लखनऊ। 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में परिभाषित कर अनुसूचित जाति की सुविधा देने की अधिसूचना सपा सरकार ने 22 व 31 दिसम्बर,2016 को जारी किया था।डॉ. भीमराव अंबेडकर पुस्तकालय व जनकल्याण समिति गोरखपुर द्वारा उच्च न्यायालय इलाहाबाद में अधिसूचना को स्थगित करने के लिए याचिका योजित किया।जिस पर न्यायालय ने 24 जनवरी,2017 को स्टे ऑर्डर कर दिया।राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ.लौटनराम निषाद ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा काउन्टर एफिडेविट दाखिल न करने व भाजपा सरकार के इशारे पर ही उच्च न्यायालय ने 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने सम्बन्धी अधिसूचना को रद्द किया है।उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव की सरकार ने जो अधिसूचना जारी किया था,उस पर लगा स्थगनादेश मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने 29 मार्च,2017 को हटाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से सम्बंधित जातियों को एससी प्रमाण पत्र जारी कराने का निर्णय दिया।उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने न्यायालय के निर्णय का अनुपालन करते हुए सक्षम अधिकारियों को आदेश पत्र जारी करने की बजाय हुबहू अखिलेश यादव सरकार की अधिसूचना की नकल कर नई अधिसूचना जारी कर दिया।जिस मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का करीबी गोरख राम ने स्टे करा दिया।न्यायालय द्वारा कड़ी फटकार लगाते हुए सरकार से बार बार काउन्टर एफिडेविट दाखिल करने का निर्देश दिया।लेकिन सरकार ने हीलाहवाली करते हुए कहा कि कैबिनेट में निर्णय लेकर न्यायालय को अवगत करा देंगे।
निषाद ने उच्च न्यायालय द्वारा 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण देने सम्बंधित अधिसूचना को रद्द करने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि योगी सरकार के इशारे पर ही ऐसा किया गया है।उन्होंने कहा कि भाजपा वोट हथियाने के लिए श्रीराम-निषादराज की मित्रता की बात करती है,असल मे वह निषाद जातियों व अतिपिछड़ी जातियों की घोर विरोधी है।निषाद, मछुआ,केवट, बिन्द, मल्लाह,धीवर, धीमर,कहार, कश्यप,गोड़िया, तुरहा,बाथम,रायकवार, माँझी, भर,राजभर,कुम्हार, प्रजापति को अनुसूचित जाति का आरक्षण देने सम्बन्धी मामला उच्च न्यायालय इलाहाबाद के यहाँ विचाराधीन था।उन्होंने बताया कि उपर्युक्त जाति राष्ट्रपति द्वारा 10 अगस्त,1950 को जारी प्रथम अधिसूचना में अनुसूचित जाति में सूचीबद्ध मझवार,तुरैहा,गोंड़, शिल्पकार व पासी तड़माली की ही पर्यायवाची व वंशानुगत नाम हैं।
निषाद ने कहा कि योगी जब गोरखपुर से लोकसभा सांसद थे,तब संसद में निषाद, मल्लाह,केवट,बिन्द को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग करते थे। 3 जुलाई,2015 को गोरखपुर में भाजपा मछुआरा प्रकोष्ठ के सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुए कहा था कि आरक्षण निषादों का अधिकार है।भाजपा निषादों के आरक्षण, अधिकार व सम्मान की लड़ाई लड़ेगी।परन्तु योगी सरकार ने निषादों को आरक्षण तो दिलाया नहीं,उल्टे निषाद मछुआरा समाज के मत्स्य पालन व बालू मोरम खनन जैसे परम्परागत पुश्तैनी पेशों को सार्वजनिक कर मत्स्य माफियाओं व बालू माफियाओं के हाथों नीलाम कर दिया।भाजपा निषाद समाज को अनुसूचित जाति का आरक्षण दिलाने का वादा किया था।लेकिन अभी तक वादा पूरा न कर वादाखिलाफी करती आ रही है।आखिर डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी भाजपा निषाद जातियों को एससी आरक्षण की सुविधा क्यों नहीं दिला रही?क्या पाकिस्तान, अमेरिका, लंदन में सरकार बनाने के बाद भाजपा अपना वादा पूरा करेगी?भाजपा व आरएसएस के आदर्श राम पर निषादों का जो कर्ज व एहसान है,उसे भाजपा कब उतारेगी?