कृषक गोष्ठी: पराली जलाने के कारण उत्पन्न समस्याओं के समाधान पर हुआ विचार

मुरादाबाद। आज पंचायत भवन सभागार में जनपद स्तरीय कृषक जागरुकता गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसका विषय “प्रमोशन आॅफ एग्रीकल्चर मैकेनाईजेशन फाॅर इन- सीटू मैनेजमेंट आॅफ क्राॅप रेजीड्यू एवं कृषि सूचना तंत्र योजनान्र्तगत” था, जिसकी अध्यक्षता जिलाधिकारी श्री शैलेन्द्र कुमार सिंह द्वारा की गयी। इस गोष्ठी में फसल अवशेष प्रबन्धन के विभिन्न पहलुओं पर विचारों का आदान-प्रदान किसानों एवं सरकारी तंत्र के अधिकारियों के बीच हुआ, जिसमें पराली जलाने के कारण उत्पन्न विभिन्न समस्याओं पर संबंधित अधिकारियों द्वारा किसानों को जागरुक किया गया।

इस अवसर पर जिलाधिकारी शैलेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि पराली की समस्याओं का निदान आपसी सहयोग के द्वारा हो सकता है। उन्होंने बताया कि जमीन की गुणवत्ता के लिए फसल चक्र को सही ढ़ंग से अपनाया जाये। बार-बार एक फसल के बुआई करने से जमीन की उत्पादन की क्षमता में कमी आती है। जिलाधिकारी ने एक कहानी के माध्यम से किसानों को जागरुक करने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि किसान अपनी फसल ब्रान्डिंग पर भी ध्यान दें, खाद्य उत्पादन के साथ-साथ मत्स्य पालन, डेयरी, पशुपालन, बागवानी व अन्य स्रोतों से भी आय अर्जित कर सकते है। उन्होंने बताया कि नई-नई तकनीकों के जरिए किसान अपनी फसल उत्पादन की क्षमता बढ़ाकर आय में वृद्धि कर सकते हैं। एक किसान की गोवंशीय पशु की समस्या पर जबाव देते हुए जिलाधिकारी ने बताया कि शहर में 8 गौ आश्रय स्थल चल रहे हैं और निकट भविष्य में और अधिक गौ आश्रय स्थल खोलने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने किसानों को बताया कि आप लोगों की समस्याओं से अवगत होने के लिए हर माह किसान दिवस का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें आप लोगों द्वारा प्रस्तुत समस्याओं का समाधान किया जाता है। उन्होंने किसानों को धन्यवाद देते हुए कहा कि आप लोगों को ऐसे ही अन्नदाता नही कहा जाता है तथा आप लोगों के कौशल व परिश्रम से ही आज भारत खाद्यान्न उत्पादन मंे आत्मनिर्भर है। आप लोगों की मेहनत व नई तकनीकों के इस्तेमाल से ही कोविड के समय उत्पन्न समस्या पर भी देश में खाद्यान्न की कोई कमी नही आयीं। जिलाधिकारी ने पराली के संबंध में किसानों से कहा कि आपका साथ और सहयोग बहुत जरुरी है। उन्होंने बताया कि पराली के निष्पादन के लिए इथेनाॅल प्लान्ट लगवाया जा रहा है, जिससे किसानों को अन्य स्रोत से आय उत्पन्न करने में सहायता मिलेगी।

इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी श्री आनन्द वर्धन ने बताया कि भारत एक कृषि प्रधान देश है, जिसके चलते किसानों का भारत की अर्थव्यवस्था में अमूल्य योगदान रहता है। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में कृषि में निरन्तर सकारात्मक बदलाव की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि पराली के प्रबन्धन से न केवल प्रदूषण के स्तर में कमी आती है बल्कि किसानों की आय भी बढती है। पराली खेतों में जलाने से मिट्टी पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है, जिससे फसल उपज में कमी आती है। उन्होंने किसानों को सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे मृदा स्वास्थ्य कार्ड, पीएम किसान आदि योजनाओं के बारे में बताया।

इस अवसर पर संयुक्त कृषि निदेशक ने किसानों को मिट्टी की महत्ता के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि जीवांश पदार्थ मिट्टी की उवर्रता में वृद्धि करता है। उन्होंने किसानों को बताया कि किसान वेस्ट डीकम्पोजर का प्रयोग करें और सरकार द्वारा कम दामों पर प्रदान की जा रही विभिन्न कृषि यंत्र जैसे मल्चर, बेलर, वेस्ड डी कम्पोजर आदि का भरपूर उपयोग करें। इस अवसर पर कृषि निदेशक ने बताया कि अगले 10 से 15 दिनों में किसानों को सब्सिडी पीएमएफएस के तहत उपलब्ध करा दी जाएगी।

गोष्ठी में उप कृषि निदेशक, जिला कृषि अधिकारी, जिला गन्ना अधिकारी, सीनियर वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र सहित अधिकारीगण एवं किसान बंधु उपस्थित रहें।