Tuesday, July 15, 2025
उत्तर प्रदेशक्षेत्रीय ख़बरें

कलशयात्रा निकालकर श्रीमद्भागवत कथा का शुभारम्भ

मुरादाबाद। गौर ग्रेसियस सांस्कृतिक समिति द्वारा मन्दिर प्रांगण, कांठ रोड पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का शुभारम्भ भव्य कलशयात्रा एवं पोथी पूजन से हुआ। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पारम्परिक परिधानों में सुसज्जित होकर कलश एवं श्रीमद्भागवत की पोथी शीश पर धारण कर कलशयात्रा निकाली। सम्पूर्ण गौर ग्रेसियस सोसायटी में हरिनाम संकीर्तन करते हुए भक्तों ने नृत्य संकीर्तन किया। जगह जगह पुष्प वर्षा एवं आरती उतारकर स्वागत किया गया। कथा के प्रथम दिवस कथा व्यास श्रद्धेय धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि भक्ति देवी एवं धुन्धुकारी उद्धार का आधार भागवत महापुराण ही है। मनुष्य जीवन में पहला सुख स्वस्थ शरीर, दूसरा सुख पवित्र धन, तीसरा गीता भागवत पढना और चौथा प्रमुख सुख ईश्वर का स्मरण व ध्यान चिन्तन करना। हमको प्रयत्न पूर्वक इनमें से समस्त सुख अवश्य प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिये।

अपार संपत्ति का भण्डार एवं अनंत ऐश्वर्य के स्वामी होने के बावजूद भी यदि मन में कुछ पाने की चाह बाकी है तो समझ लेना वो अभी दरिद्र ही है। बहुत कम होने के बावजूद भी यदि संतोष एवं प्रसन्नता जीवन में है तो उसके जैसा कोई धनवान नहीं हो सकता।

बहुत कुछ पाने के बावजूद भी मन का संतोष एवं भीतर का सुख नहीं मिला तो केवल बाहरी सुख कोई विशेष महत्व भी नहीं रखते हैं। जो लोग बस रात दिन प्रभु से कुछ न कुछ माँगने में लगे रहते हैं उन्हें बहुत कुछ मिल जाता है मगर जो कुछ नहीं माँगते उनको सबकुछ मिल जाता है।

सुदामा जी अपने प्रभाव के कारण नहीं पूजे जा रहे हैं अपितु अपने स्वभाव और कुछ भी न चाहने के भाव के कारण पूजे जा रहे हैं। कुछ भी न पाने की इच्छा ने उन्हें द्वारिकापुरी का राजसिंहासन प्रदान कर दिया। मनुष्य की कामना शून्यता ही उसे अबसे अधिक मूल्यवान, अनमोल और उस प्रभु का प्रिय बना देती है। जिसमें कामना नहीं होती वही तो हीरा होता है।

परमात्मा श्रीकृष्ण के नाम का जप, गीता के अभ्यास से प्रत्यक्ष लाभ होता है, इससे बढ़कर संसार मे कोई नही है। सत्संग, अच्छे पुरुषों का संग इसकी जड़ है, परमात्मा श्रीकृष्ण का ध्यान इसका फल है। भक्त प्रारम्भ से ही भगवत्कृपा की डोरी से बँधे हुए चलते हैं। जहाँ पैर फिसला कि भगवान ने डोरी पकड़ी। इससे भक्त कभी गिरते नही।

कथा में रश्मि गोयल, विवेक गोयल, ममता अग्रवाल, संजीव अग्रवाल, रुचि पचौरी, गिरीश पचौरी, संध्या सेठ, ध्रुव भट्ट, रेखा यादव, राजीव यादव, पिंकी राय, सुनीता वर्मा, जटा शंकर सिंह, पूनम वर्मा, सविता वर्मा, सीमा शर्मा, श्रेष्ठा शर्मा, सारिका दीक्षित, मन्जुला सक्सैना, सुगन्धा शर्मा, पं० सतीश दत्त एवं पं० प्रेमशंकर शर्मा आदि ने सहयोग दिया।