64 फ्लैट की ली अनुमति, 70 बनाकर बेचा, सोसाइटी ने भू-माफिया के खिलाफ की शिकायत

बरेली। कई सालों से बिल्डर की पहुंच की वजह से सुनवाई नहीं होने से संघर्षरत और प्रदेश में किसी बिल्डर के खिलाफ रेरा में पहला केस दर्ज कराने वाले किंग्स कोर्ट अपार्टमेंट सोसाइटी के सदस्यों ने शुक्रवार को डीएम शिवाकान्त द्विवेदी से मिलकर भू-माफिया घोषित किए बिल्डरों पर आवंटियों के साथ धोखा करने का आरोप लगाया।

रेरा ने जांच के बाद बिल्डरों को आदेश दिया था कि आवंटियों से किये वादों को पूरा नहीं करने पर धनराशि को वापस कर दें, लेकिन बिल्डरों ने आवंटियों को अपनी पहुंच के बल पर वह राशि वापस नहीं की। डीएम ने सोसाइटी सदस्यों से कहा कि पहले कभी किसी आवंटी ने शिकायत नहीं की है। सोसाइटी की समस्याओं का हल कराया जाएगा। सोसाइटी की शिकायत को बीडीए को भी भेजा है।

सोसाइटी के सचिव तारा चंद राठौर के नेतृत्व में मिले सदस्यों ने ज्ञापन में कहा है कि किंग्स कोर्ट अपार्टमेंट को होराइजन ड्यूलिंग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बनवाया गया है। डायरेक्टर अमनदीप सिंह व तजेंद्र छाबड़ा हैं। यह अपार्टमेंट जेल रोड पर राइफल क्लब के सामने है।

अपार्टमेंट निर्माण में कई अनियमितताएं बरती गई हैं। कहा कि वर्ष 2015 में बीडीए के निर्धारित मानकों और स्वीकृत मानचित्र के विरुद्ध अवैध रूप से आवासीय फ्लैटों का निर्माण बिल्डर्स द्वारा किया गया है। जो आवासीय फ्लैट बीडीए द्वारा मानचित्र की स्वीकृति के समय बंधक रखे थे, उसे भी बिना प्राधिकरण की अनुमति के बेचा जा चुका है।

आवंटियों को बताया था कि फ्लैटों की जल एवं मल निकासी की व्यवस्था को एसटीपी प्लांट बनाएंगे, लेकिन बिल्डर ने इसे सीधे नाले से जोड़ा है। यहां भी धोखा दिया गया है। तारा चंद ने बताया कि बिल्डर ने अभी तक बीडीए से पूर्णत: प्रमाणपत्र नहीं लिया है, क्योंकि बिल्डर को लगभग दो करोड़ रुपये प्राधिकरण में जमा करना था। स्वीकृत मानचित्र के विरुद्ध किये निर्माण में एक फ्लोर अतिरिक्त बनाकर सेटबैक भी प्रभावित किया गया है।

ज्ञापन देने वालों में शामिल डा आरके रस्तोगी, संजय अग्रवाल, संजीव शंखधार, धीरेंद्र चौहान, अजय जेटली, पीके श्रीवास्तव, लीलाधर शर्मा ने कहा है कि बिल्डर ने फ्लैट स्वामियों से आईएमएमएस के रूप में रुपये 65 हजार प्रति फ्लैट एवं पार्किंग के रूप में रुपये 1 लाख प्रति पार्किंग वसूल किए लेकिन इसकी रसीद किसी फ्लैट स्वामियों को नहीं दी। सोसाइटी के लोगों ने बिल्डर द्वारा फ्लैट बिक्री के समय दिया गया ब्रोशर भी संलग्न किया है। इसमें बिल्डर का नाम अंकित है।

प्रशासन बिल्डर पर रहा मेहरबान

अब भू माफिया घोषित अमनदीप की पहुंच ऐसी थी कि प्रशासन के अफसरों को भी उनके खिलाफ सख्त कदम उठाने से पहले कई बार सोचना पड़ता था। यही वजह थी कि 2018 में रेरा द्वारा बिल्डर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश के बाद भी कुछ नहीं हुआ। रेरा में दर्ज शिकायत की सुनवाई मुरादाबाद विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष रहीं कनक त्रिपाठी ने की थी। उन्होंने सोसाइटी द्वारा लगाए आरोप को सही माना।

बिल्डर ने 64 यूनिट फ्लैट बनाने की अनुमति ली लेकिन छह अवैध यूनिट बनाकर उन्हें भी बेच डाला। बिल्डर को आदेश दिया था कि ब्रोशर में किए गए वादों और अपार्टमेंट में अधूरे निर्माण को पूरा कराएं। ऐसा नहीं करने पर आवंटियों को शेष धनराशि 12 फीसदी ब्याज के साथ वापस करें। उन्होंने कहा कि बीडीए से पूर्णत: प्रमाणपत्र लिए बिना उन्हें बेचना नियम विरुद्ध है।