अंधाधुंध काटे जा रहे वृक्षों से सिमट रहे जंगल,फिर भी कोई चेतने को तैयार नहीं…!
हरे भरे खूबसूरत पेड़ जहाँ तक नजर जाएँ वहाँ तक हरियाली ही हरियाली कितनी सुखद लगती हैं ये बातें लेकिन वास्तविकता इससे बिलकुल अलग है!
हम विकास के रास्ते पर बहुत आगे पहुंच चुके हैं लेकिन इस विकास का प्रकृति पर क्या असर पड़ रहा है इसके बारे में शायद ही किसी के पास सोचने का वक्त है!और पक्षियों की घटती संख्या के लिए भी जिम्मेदार हम ही हैं दुर्भाग्य से हम इंसानों ने दूसरे तरीकों से भी इन पक्षियों की मुश्किलें बढ़ाई हैं पेड़ों को काटकर वाहनों और फैक्ट्रियों के धुएं ऊंची बिल्डिंग और हाइवेज बनाने से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में लगातार वृद्धि हुई है और हमारी इन हरकतों का नतीजा झेलना पड़ रहा है इन छोटे छोटे प्यारे प्यारे खूबसूरत पक्षियों को कुल मिलाकर हमने इनके लिए बदतर हालात बना दिए हैं!अगर यही हाल रहा तो धरती से पक्षियों को विलुप्त होने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा अगर पक्षी पूरी तरह से विलुप्त हो जाए तो इंसानों पर क्या असर होगा? आपको लग सकता है कि इससे इंसानों की जिंदगी और अस्तित्व पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा लेकिन ऐसा नहीं है प्रकृति में हर चीज एक-दूसरे से किसी ना किसी तरह से जुड़ी हुई है पक्षियों के विलुप्त होते ही मच्छर कीड़े और मकड़ियों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हो जाएगी क्योंकि इनको खाने वाली चिड़िया नहीं रहेंगी नतीजा यह होगा कि कीड़ों की वजह से आधी से ज्यादा फसलें बर्बाद हो जाएंगी!पर्यावरण पर पड़ने वाला एक असर ये होगा कि पौधों की कई प्रजातियां भी विलुप्त हो जाएंगी पक्षी बीजों को एक-जगह से दूसरी जगह ले जाते हैं जिससे पौधे उगते हैं!यह समझना मुश्किल नहीं है कि इंसानों का अस्तित्व भी प्रकृति से अलग नहीं है!यहाँ जैसे पेड़ों को भी बड़ी तेजी से काटा जा रहा है जितनी तेजी से जंगल कट रहे हैं उतनी ही तेजी से जीव जंतुओं की कई प्रजाती दुनियाँ से विलुप्त होती जा रही है!वनों की बेरहमी से हो रही कटाई के कारण एक तरफ ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है वहीं दूसरी और प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है! कई जीव हमारी धरती से लुप्त हो चुके हैं सही तरह से आँका जाए तो प्रलय का वक्त नजदीक नजर आ रहा है! इस प्रलय से बचने के लिए हमें तेजी से प्रयास करने होंगे!
अब हर व्यक्ति को एक दो नहीं कम से कम तीन पेड़ लगाने का वादा नहीं बल्कि पक्का इरादा करना होगा।