Tuesday, July 15, 2025
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कृष्ण भावनामृत से ही आत्मबल बढ़ता है: अर्द्धमौनी

मुरादाबाद। कुन्दन पुर, ढक्का, लाइनपार में आयोजित भजनोत्सव् एवं हरिनाम संकीर्तन में कथा व्यास श्रद्धेय धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि जिस कर्म से मनुष्य बन्धन में नही बन्ध जाता वही सच्चा कर्म है। जो मुक्ति का कारण बनती है वही सच्ची विद्या है। शेष कर्म तो कष्ट का ही कारण होती है तथा अन्य प्रकार की विद्या तो केवल भौतिक कार्य करने वाली हैं।

कृष्ण भक्ति हमारे आत्मबल को सशक्त करती है। भक्तिवान जीवन धैर्यवान जीवन भी बन जाता है। जिस जीवन में प्रभु की भक्ति नहीं होगी, निश्चित समझिए उस जीवन में धैर्य नहीं पनप सकता। भक्त इसलिए प्रसन्न नहीं रहते कि उनके जीवन में विषमताएं नहीं रहती हैं अपितु इसलिए प्रसन्न रहते हैं कि उनके जीवन में धैर्य रहता है।

भक्त के जीवन में किसी भी प्रकार की विषमताओं से निपटने के लिए अपने इष्ट अपने आराध्य का नाम अथवा विश्वास होता है। भक्त के जीवन में परिश्रम तो बहुत होता है मगर परिणाम के प्रति ज्यादा उतावलापन नहीं होता है। वो इतना जरूर जानता है कि मेरे हाथ में केवल कर्म है, उसका परिणाम नहीं।
मैंने कर्म को पूरी निष्ठा से करके अपना कार्य पूरा किया अब आगे परिणाम जैसे मेरे प्रभु को अच्छा लगेगा वही आयेगा। विपरीत से भी विपरीत परिस्थितियों में भी अगर कोई हमें मुस्कराकर जीना सिखाता है तो वो केवल और केवल हमारा धैर्य ही है। धैर्य के समान आत्मबल प्रदान करने वाला कोई दूसरा मित्र नहीं और भक्ति के बिना जीवन में धैर्य का आना भी संभव नहीं।

सामान्यत: भाग्य नहीं बदलता, स्वभाव नहीं बदलता, पर भगवान का भजन करने से, नाम लेने से भाग्य बदल जाता है, स्वभाव बदल जाता है, जीवन बदल जाता है। महान दु:खी जीवन, नारकीय जीवन हो, वह भी संतों का सा जीवन हो जाता है, वह दुनिया का उद्धार करने वाला संत बन जाता है। भगवन्नाम लेने से कितनी विलक्षणता आ जाती है।

हम यहाँ नित्य रहने के लिये नहीं आए हैं । यहाँ से जाने का कोई निस्चित समय नहीं है । अचानक जाना पडेगा । इस विषय में निस्चिन्त रहना गलती है । यहाँ जिस काम के लिए आए हैं, वही काम करना है । यहाँ भोग करने के लिये नहीं आये हैं, प्रत्युत भजन करने के लिये आये हैं ।

जब मनुष्य की दृष्टि भगवान् पर हो जाती है, वह भगवान् के सम्मुख हो जाता है, भजन में लग जाता है, तब वह साधारण मनुष्य नहीं रहता सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं। जन्म कोटि अस नासहिं तबहीं।

कार्यक्रम में हरसुख राम, श्रीमती यशोदा सैनी, नन्दन सिंह सैनी, कु० दिव्या सिंह, जोगेन्द्र सैनी, दीक्षा सिंह, प्रकाश सिंह, आकाश सिंह, राममूर्ति देवी, सीता देवी, मुन्नी देवी, प्रशान्त चौहान, अरुण सैनी, विक्की सैनी, जितेन्द्र सिंह, विजेन्द्र सिंह, कमलेश, आरती सैनी, शिवम सैनी आदि उपस्थित रहे।