आगरा से 1960 में आए दैनिक पत्र ने बरेली में शुरू की पेशेवर पत्रकारिता की शुरुआत
अब कुछ ही मिनट में कंप्यूटर या मोबाइल से अपनी एजेंसी या पोर्टल पर भेजा समाचार फोटो देश भर में होता है वायरल o वर्ष 1970 =1980 के दशक में पोस्ट ऑफिस में डाक या तार से समाचार भेजे जाते थे। निर्भय सक्सेना बरेली। बरेली में आजादी के बाद दिल्ली, लखनऊ एवम अन्य शहरों से ही दैनिक पत्रों के बरेली में प्रतिनिधियों के अलावा स्थानीय स्तर पर प्रकाशित होने वाले साप्ताहिक पत्रों के पत्रकारों का ही बोलबाला था। जिनका लेखन भी सीमित दायरे या अपनी विचारधारा को बढ़ाने तक ही होता था। वर्ष 1960 के दशक में आगरा से आए दैनिक अमर उजाला का बरेली से प्रकाशन के बाद ही बरेली में पेशेवर पत्रकारिता की वास्तविक शुरुआत हुई। वर्ष 1995 में दूरदर्शन के बाद कई न्यूज चैनल आने के बाद पत्रकारिता की दिशा भी बदल गई। बाद में बरेली भी देश के प्रमुख समाचार पत्रों का प्रकाशन केंद्र बन गया। जिससे बरेली में पत्रकार भी पूर्णकालिक हो गए। बाहर से आए पत्रकारों ने बरेली में प्रशिक्षण लेकर देश भर में अपना नाम कमाया। वर्ष 1970 =1980 के दशक में पोस्ट ऑफिस में डाक या तार से समाचार भेजे जाते थे। दैनिक समाचार पत्रों के रोडवेज बस से भी समाचार पैकेट आते थे। आजकल अब हाल यह है की कुछ ही मिनट में कंप्यूटर या मोबाइल से अपनी एजेंसी या पोर्टल पर भेजा समाचार फोटो देश भर में वायरल हो जाता है। बरेली में पत्रकारिता जगत में 1974 के दशक में जब मैं पत्रकारिता क्षेत्र में कुछ सीखने की ललक से आया उस समय बरेली में बाहर के आने बाले देश-प्रदेश के समाचार पत्रों में समाचार भेजने वालों में मुंशी प्रेम नारायण सक्सेना, नरेन्द्र मोहन मुखर्जी, धर्मपाल गुप्ता, बी आर मिगलानी, के के गुप्ता, सुरेश शर्मा एवम साप्ताहिक समाचार पत्रों में तेज बहादुर सिन्हा, ब्रज पाल बिसारिया, जे बी सुमन, के के शर्मा, जगन्नाथ साहनी, सरस्वती सहाय त्यागी, पी सी आजाद, ए के जोहर शास्त्री, के के गौड़, नफीस भारती, शहजाद अली, पटेल आदि की गूंज होती थी जबकि बरेली के समाचार पत्रों में नरेश वर्मा, के.के.शर्मा, बलवीर त्यागी जी, बलवंत राय मिगलानी के नाम की चर्चा होती थी जिनके रोज ही समाचार तार से या समाचार पैकेट के रूप में दिल्ली जाते थे। बरेली में अक्सर श्रमजीवी पत्रकार जे.बी.सुमन, राकेश कोहरवाल के साथ रहकर उनके कुछ सीखने का प्रयास करता था। उसी दौरान जे. बी. सुमन ने एक दिन मुंशी प्रेम नारायण सक्सेना से मेरी भेंट कराई थी यह कहकर की यह लड़का अभी पत्रकारिता के क्षेत्र में नया है। आप भी इसे समाचारों के बारे में जानकारी देते रहा करें ताकि ये अपनी ‘दैनिक विश्व मानव’ की रिपोर्टिंग में कुछ काम कर सके। मुंशी प्रेम नारायण जी से भेंट के बाद उनसे कचहरी पर बंगलिया चैंबर में उनसे मुलाकात होती रही। जहां आम की बंगगिया स्थित बिस्तर पर कई वकील कुर्सी डाल कर बैठते थे और गपशप में मुंशी प्रेम नारायण जी उन्हें शहर के किस्से चटकारे लेकर सुनाते थे। जब मैं पहुंचता तो वह नमस्कार करने के बाद कहते थे बैठ जाओ और कुछ समय बाद वह बंगलिया में बसंत चाय वाले की दुकान पर ले जाकर दिन भर की सुनी सुनायी घटनाओं के बारे में बताते थे और कहते थे कि तुम फलां-फलां व्यक्ति से इस बारे में मिल लेना। इस संबंध में तुम्हें और भी काफी जानकारी मिल जायेगी ताकि तुम्हारा समाचार ढंग से बन सके। इसके बाद वह एक चाय एक समोसा खिलाकर मुझे विदा करते थे। मैं अपने कार्यों में लगकर अगले दिन प्रकाशित समाचार उन्हें अवश्य दिखाता था और वह मेरी हौसला आफजाई करते थे। मुंशी प्रेम नारायण जी के साथ कई बार चुनाव की कवरेज के लिए भी सूचना विभाग की जीप में पीछे बैठकर जाने का सौभाग्य मिला। होता यह था की सूचना विभाग बरेली की जीप कहीं जाने के लिए नरेन्द्र मोहन मुखर्जी के घर जाती थी और उसके बाद कोतवाली पर एकत्रित पत्रकारों को लेने पहुंचती थी। जिसके कारण नरेन्द्र मोहन मुखर्जी के चौपुला मनोरंजन केन्द्र रोड स्थित घर पर जाती थी और सूचना अधिकारी आगे की सीट पर काबिज हो जाते थे। मुंशी प्रेम नारायण हम जैसे हम पत्रकारों को पीछे की सीट पर बैठना पड़ता था। यात्रा के दौरान अक्सर कोई न कोई प्रसंग चटकारे लेकर सुनाते थे जिससे वहां हास्य का वातावरण गुंजायेमान रहता था। एक बार की बात है मोहर्रम के समय हम सभी पत्रकार क्षेत्राधिकरी नगर पुलिस के कार्यालय में क्षोत्राधिकारी डा. एच. सी. फुलेरिया से बैठे चर्चा कर रहे थे। इसी बीच नरेन्द्र मोहन मुखर्जी का वहां आना हुआ और क्षेत्राधिकारी पुलिस फुलेरिया जी को संबोधित करते हुए कहा कि मेरे काम का क्या हुआ? जिस पर फुलेरिया जी ने उत्तर दिया मोहर्रम बाद आपका काम हो जायेगा। जिसपर मुखर्जी ने कहा ‘व्हाट इस मोहर्रम’? इसके बाद मुंशी जी ने अपनी हाजिर जवाबी से कहा मुखर्जी साहब मैं मौहर्रम तो नहीं बस मौहर्रमी शक्ल के बारे में अभी आपको अवगत करा सकता हूं। आप केवल सामने टंगे आइने में अपनी शक्ल जाकर देख लें। जिस पर वहां ठहारा गूंज उठा और मुखर्जी साहब तुरंत वहां से चले गये।मुंशी प्रेम नारायण की खास आदत थी कि रात के किसी कार्यक्रम में जब वह जाते थे तो डिनर के समय पूछ लेते थे देख कर आओ क्या-क्या टेबिल पर खाने को लगा है। जब मैं बताता था तो वह कहते मेरे लिए एक प्लेट में उपरोक्त आइटम लगाकर ले आओ। उस समय वरिष्ठ पत्रकारों ने यू पी जर्नलिस्ट एसोसिएशन ;उपजाद्ध बरेली का भी गठन कर लिया जिसमें मुझे भी सदस्य बनाया गया। इसके बाद मुंशी प्रेम नारायण, जे. बी. सुमन, राकेश कोहरवाल, सुरेश शर्मा, रामदयाल भार्गव, बलवंत मिगलानी, ब्रजपाल बिसरिया, के. के. शर्मा, दिनेश पवन आदि ने वर्ष 1975 में ‘उपजा’ का 10 वां प्रांतीय सम्मेलन बरेली में कराने का वीणा उठाया जो बरेली कालेज में हुआ। उपजा के इस प्रदेश सम्मेलन में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी थे। इस कमेटी के अध्यक्ष मुंशी प्रेम नारायण थे। उपजा के इस प्रदेश सम्मेलन में प्रदेश भर के 300 पत्रकारों ने भाग लिया और सम्मेलन कराने में अमर उजाला के मुरारी लाल माहेश्वरी एवं जिलाधिकारी माता प्रसाद जी ने काफी मदद दी। मुंशी प्रेम नारायण ने तब बरेली में ‘उपजा प्रेस क्लब’ एवं ‘प्रेस कालोनी’ बनाने की मुख्यमंत्री जी को ‘उपजा’ के सभी पत्रकारों की तरफ से ज्ञापन दिया गया। जिस पर बाद में भी उपजा की ओर से महामंत्री होने के नाते मैंने ;निर्भय सक्सेनाद्ध भी कई बार स्मरण पत्र सरकार एवं जिला प्रशासन को दिये। जिस पर बरेली में नावल्टी चौराहे पर सिंघल लाइव्रेरी के एक हिस्से में ‘उपजा प्रेस क्लब’ और एकता नगर में 20 मकानों की पत्रकार कालोनी प्रियदर्शिनी नगर में ‘उपजा’ के कारण मूर्त रूप ले सकी। ‘उपजा’ के पास जब जगह नहीं थी तब मेरे एवं अन्य सदस्यों के घरों पर उपजा के‘ प्रेस से मिलिये’ कार्यक्रम होते थे। बाद में जिला परिषद में वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर का भी ‘प्रेस से मिलिए’ कार्यक्रम रखा गया। मुंशी जी के सहायक के रूप में भैरव दत्त भट्ट ‘दैनिक उत्तर उजाला’ के प्रतिनिधि बन गये। भट्ट जी भी मुंशी जी के घर पर रहते थे। मुंशी प्रेम नारायण के घर पर रविवार को शाम के समय अक्सर चाय का दौर चलता था जहां भाभी विद्यावती जी चाय के साथ घर की बनी नमकीन व मठरी का नाश्ता कराती थी। 15 दिसंबर 1985 को मेरी शादी हुई तो मैंने मुंशी जी को कार्ड दिया कि आपको जरूर आना है। मुंशी प्रेम नारायण जी साहूकारा धर्मशाला में बारात आने से पहले ही पहुंच गये थे एवं भोजन कर वहां से चले भी गये थे। कुछ दिन बाद मैंने शिकायत की कि आप शादी में नहीं आये तो उन्होंने तपाक से कहा जब तुम्हारी बारात रास्ते में थी तो हम लोग साहूकारा वाली धर्मशाला में पहुंच गये थे। सबसे पहले भोजन करने वालों में हम थे। जिसकी पुष्टि हमारे ससुराल पक्ष के लोगों ने भी कि एक मोटे से व्यक्ति आये थे और सबसे पहले खाना खाकर चले गये थे। कुछ अस्वस्थ होने पर मुंशी जी दिल्ली में अपनी बेटी के पास रहने लगे थे। मुझे फोन नंबर दे गये थे कि जब भी तुम दिल्ली आओ तो मेरी बेटी के देवनगर, दिल्ली स्थित आवास पर पत्नी को लेकर जरूर आना। मैं पत्नी को लेकर उनके देवनगर दिल्ली वाले घर पर भी गया। जहां उन्होंने मुझे बगैर भोजन के नहीं आने दिया। मुंशी प्रेम नारायण जी की शिक्षा इलाहाबाद में हुई जहां उन्होंने कानून की डिग्री ली। उनके पिता मुंशी लेखराज भी उर्दू संस्कृत के विद्वान थे। साथ ही वकालत भी करते थे।इसी कारण मुंशी जी ने वकालत शुरू कर दी। मस्तमौला स्वभाव एवं पत्रकारिता में रूचि होने के कारण कचहरी रोज जाया करते थे और मुकदमें उन पर सीमित ही आया करते थे। उ.प्र. सरकार में मंत्री रहे राम सिंह खन्ना के वे बहुत प्रिय थे। एक बार राम सिंह खन्ना के चुनाव के दौरान किसी ने उन्हें शराब का न्यौता दिया तो वह तपाक से बोले हम इतनी पी चुके हैं कि अब मन ही नहीं करता। जबकि वह शराब से दूर ही रहते थे। वर्ष 1950 के दशक में बरेली में ‘डेकोटा प्लेन’ आए थे तो किसी ने मुंशी प्रेम नारायण जी से कहा कि आप भी आठ आने के टिकट में हवाई यात्रा कर लीजिये तो वह हंसकर बोले हम हैं कौम के कायस्थ चार आने की दारू में पूरी रात उड़ेगे यह तो आठ आने में 10 मिनट में हवाई जहाज की ही उड़ान करायेगा। मुंशी जी के अनेक रोचक किस्से हैं जो हर किसी को हंसने पर मजबूर कर देते थे। ऐसी हसौड़ प्रवृत्ति के मुंशी प्रेम नारायण का निधन 3 सिंतबर 1990 को हुआ।
धर्मपाल गुप्ता ‘शलभ’ धर्मपाल गुप्ता बरेली में नवभारत टाइम्स के संवाददाता थे। उन्होंने ‘अमर उजाला’ में ‘समय की धारा’ नामक कालम कुछ समय तक लिखा जब मैं ‘दैनिक विश्व मानव’ में था तो दोपहर में अक्सर पटेल चौक पर ‘फाइन प्रेस’ वाली दुकान पर जाता रहता था जहां उनके पिता चिरंजीव लाल गुप्ता, जो स्वयं ‘दैनिक वीर अर्जुन’ के संवाददाता थे, उनसे भी भेंट होती थी। धर्मपाल गुप्ता हमारे निवास के पड़ौस में ही जकाती मौहल्ले में रहा करते थे और साईकिल से अक्सर मेरे पिताजी सुरेश चन्द्र के पास आते जाते थे। इसी कारण वह मुझे भी पहचानते थे जब मैंने उन्हें बताया कि मैं भी ‘दैनिक विश्व मानव’ में पत्रकारिता का कार्य सीखने लगा हूं तो उन्होंने कहा कि तुम्हें पत्रकारिता में बहुत मेहनत करनी पड़ेगी साथ ही अन्य समाचार पत्र पढ़ने पर भी ध्यान देना होगा। धर्मपाल गुप्ता की उर्दू भाषा पर भी मजबूत पकड़ थी अक्सर मुस्लिम समाज की प्रेस कांर्फेंस में वह मौलानाओं को निरूतर कर देते थे जब मैं ‘दैनिक जागरण’ आगरा में पहुंचा तो उन्होंने बताया कि उनके दामाद ब्रजेश कुमार आगरा स्टेडियम में वालीवाल के कोच हैं जो अक्सर मुझसे मिलने दैनिक जागरण कार्यालय आते थे।उनकी पुत्री शोभना जी से भी आगरा के बाद बरेली के ‘मानव सेवा क्लब’ के कई कार्यक्रमों में भेंट होती रही।
रामदयाल भार्गव आलमगिरी गंज क्षेत्र में ‘प्रभात प्रेस’ के मालिक थे। वह वहीं से साप्ताहिक अखबार भी निकाला करते थे। बाद में वह ‘हिंदुस्तान समाचार न्यूज एजेंसी’ के बरेली के प्रतिनिधि हो गये। कुछ समय वह ‘दैनिक विश्व मानव’ में बैठने लगे। ‘उपजा’ से भी उनका जुड़ाव रहा। उपजा के आई. वी. आर. आई. में प्रदेश सम्मेलन के बाद उन्होंने आर्थिक आरोपों से घिरकर ‘उपजा’ ने उन्हें अलग कर दिया। बाद में वह में अपनी गलती मानते हुए पुनः ‘उपजा’ में आ गये और उपजा बरेली के अध्यक्ष भी बनें। स्वर्गीय नरेंद्र मोहन मुकर्जी बरेली में पी टी आई के संवाददाता थे। अखिलेश सक्सेना ने हिंदुस्तान टाइम्स के लिए कार्य किया। बाद में अनिल माहेश्वरी हिंदुस्तान टाइम्स के बरेली में विशेष संवाददाता रहे। बरेली निवासी नरेश वर्मा नेशनल हेराल्ड, दिल्ली में कार्य करने के बाद बरेली में टाइम्स ऑफ इंडिया में आ गए थे। जगन्नाथ साहनी ने बरेली से उर्दू का हुब्बे बतन पेपर निकाला। नफीस भारती जी आजकल भी पुत्र रईस अहमद के साथ अपना उर्दू दैनिक तर्जुमान निकाल रहे हैं। शहजाद अली भी उर्दू साप्ताहिक निकलते थे। वी पी गौतम बरेली में ब्लिट्ज के प्रतिनिधि, बलवंत राय मिगलानी, अरुण मिगलानी उर्दू मिलाप के प्रतिनिधि रहे।
ज्ञान सागर वर्मा बरेेली के एक विद्वान पत्रकार रहे। लखनऊ के ‘दैनिक तरूण भारत’ एवं ‘दैनिक स्वतंत्र भारत’ में काम करने के बाद जब बरेली में ‘दैनिक विश्व मानव’ खुला तो वह बरेली में आ गये। अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद में उन्हें महारत हासिल थी पर उनका राइटिंग अपठनीय होता था। आपातकाल के दौरान जब जनसंघ के नेता सत्यप्रकाश अग्रवाल गिरफ्तार हुए तो उनका समाचार वर्मा जी ने देर रात इतना घसीट राइटिंग में लिखा कि कार्यालय में बैठने वाला गुप्तचर अधिकारी उसको नहीं पढ़ सके और उस पर पास की मोहर भी लगा दी। जब सुबह समाचार छपा तो उसपर काफी हंगामा मचा कि यह समाचार ‘दैनिक विश्व मानव’ में क्यों छपा? जब उनको बताया कि कापी पर आपके गुप्तचर अधिकारी ने पास की मुहर लगाई है तभी यह समाचार छपा है। जिसको लेकर उस अधिकारी को हटाकर दूसरी जगह भेज दिया गया। समाचार देने पर और ज्यादा सख्ती हो गई। ज्ञानसागर वर्मा ‘उपजा’ से भी जुड़े रहे और उन्होंने आगरा, लखनऊ, दिल्ली आदि के कई उपजा सम्मेलनों एवं बैठकों में भाग लिया। उनकी 23 दिसंबर 2012 को मृत्यु हुई। चंद्र नारायण सक्सेना एडवोकेट उर्फ भ्राता जी ने भी लंबे समय तक दैनिक विश्व मानव की संपादकीय का लेखन किया। हरी शंकर शर्मा, ज्ञानेंद्र राही, अनुराग दीपक,संजय सक्सेना, राजेंद्र पांडे, रामा बल्लभ शर्मा भी विश्व मानव से जुड़े रहे।
दिनेश चन्द्र शर्मा उर्फ दिनेश पवन ने भी बरेली में लंबे समय पत्रकारिता की जिसमें ‘दैनिक विश्व मानव’, ‘दैनिक दिव्य प्रकाश’, ‘ दैनिक जागरण’, ‘दैनिक दो टूक’ में वह समाचार संपादक रहे। चौबे जी की गली निवासी पंडित श्रीकृष्ण शर्मा के पुत्र दिनेश पवन जी का जन्म बरेली में 4 अक्टूबर 1952 को हुआ तथा उनकी शिक्षा भी तिलक इंटर कालेज एवं बरेली कालेज में हुई। अपने पड़ौसी अनुराग दीपक के साथ ही वह पत्रकारिता क्षेत्र में आये और ‘दैनिक जागरण’ में लंबी पारी खेलकर वही से रिटायर हुये। दैनिक जागरण में धर्म कर्म एवं शिक्षा, भाजपा की बीट को भी लंबे समय तक देखा जिसपर उनकी मजबूत पकड़ थी। लंबे समय तक उनके धर्म पर लिखे आलेख समाचार /पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे। श्री दिनेश पवन की ज्योतिष पर भी अच्छी जानकारी है साथ ही नाटकों में रुचि के कारण ‘वीर हकीकत राय’ में विष्णु भगवान एवं पी.सी.आजाद जी के नाटक ‘गर्वनर राज’ में भी पुलिस कप्तान का भी अभिनय किया। श्री दिनेश पवन जी का कहना है कि वह नाटककार स्व. स्वराज्य पल्तानी चाचा के कारण ही अभिनय क्षेत्र में आये। श्री दिनेश पवन जी रिपोर्टिंग पर आज तक किसी ने उंगली नहीं उठाई। ‘दैनिक जागरण’ से सेवा निवृत्ति के बाद में वह दैनिक दो टूक के समाचार संपादक बनाये गये। उनका भी 2021 में ही निधन हो गया।
कमल कांत शर्मा शुरूआती दौर में ‘दैनिक विश्व मानव’ में लंबे समय तक संपादकीय विभाग में रहे। अलीगढ़ निवासी कमल शर्मा ने ही विशप मंडल कालेज के बाद बरेली कालेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। ‘दैनिक विश्व मानव’ की बंदी के बाद वह हरिद्वार चले गये और वहां एक दैनिक समाचार पत्र ‘भागीरथ संदेश’ में काम करने के बाद हल्द्वानी आ गये। श्री कमल शर्मा ‘दैनिक उत्तर उजाला’ के प्रभारी बनें। जब ‘दैनिक जागरण’ हल्द्वानी में प्रारंभ हुआ तब श्री शर्मा संपादकीय विभाग की टीम में शामिल हुए और हल्द्वानी ‘दैनिक जागरण’ से ही सेवानिवृत्त हो गये। इसके बाद वह ‘दैनिक उत्तरांचल द्वीप’ से जुड़ गये।
नरेश बहादुर ने भी बरेली से ‘रुहेलखण्ड टाइम्स’ अंग्रेजी साप्ताहिक अखबार निकाला 2 अप्रैल 1938 को बुकिंग क्लर्क रहे राज बहादुर एवं श्रीमती त्रिवेणी जी के पुत्र श्री नरेश वर्मा की पढ़ाई कुंवर दया शंकर इंटर कालेज बरेली एवं बाद में बरेली कालेज से स्नातक एवं आगरा यूनिर्वसिटी से एमएसडब्ल्यू किया। वर्ष 1972 में बरेली में उस समय अंग्रेजी साप्ताहिक निकालना भी एक जटिल कार्य था पर श्री नरेश बहादुर जी ने ‘साप्ताहिक रुहेलखण्ड टाइम्स’ का प्रारंभ किया। बरेली में जब ‘दैनिक विश्व मानव’ शुरू हुआ तो उसमें वह प्रसार प्रबंधक बनाये गये। बाद में बरेली से उन्होंने बरेली से उन्होंने ‘पुलिस जर्नल’ का प्रकाशन किया। त्रिवटीनाथ मंदिर के सामने पावर हाउस के बरावर में रहने वाले नरेश जी का विवाह उमा जौहरी के साथ हुआ। श्री नरेश वर्मा यू. पी. जर्नलिस्ट एसोसियेशन एवं उपजा एवं नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट इंडिया के अध्यक्ष रहे पीयूष कांति राय के भी साथ भी स्कूली पढ़ाई की क्योंकि दोनों के पिता रेलवे में एक साथ ही सोरों ;कासगंजद्ध में कार्यरत थे। उनका भी 2021में निधन हो गया।
ब्रजपाल सिंह बिसरिया ने भी गली मिर्धान से अपनी प्रेस से हिंदी साप्ताहिक ‘युग संदेश’ निकाला। बरेली कालेज से स्नातकोत्तर रहे श्री ब्रजपाल बिसारिया जी की गिनती बरेली में गिनती एक अच्छे पत्रकार के रूप में होती थी। श्री बिसारिया जी उपजा के कर्मठ सदस्य रहे और आगरा सहित कई जिलों में उपजा सम्मेलनों में प्रतिभाग किया।
जगदीश विकट ने मढ़ीनाथ में रहकर अपना साप्ताहिक अखबार ‘चित्रांकन’ कई वर्षों तक निकाला। वह एक तेज तर्रार पत्रकार रहे तथा उन्हें एक जुझारू पत्रकार के रूप में बरेली के लोग जानते रहे। उन्होंने कई चुनाव भी लड़े।
अजीत सक्सेना ने भी बरेली के प्रेमनगर से भी ‘रफ्तार टाइम्स’ एवं ‘खुशबू मेरे देश की’ सहित कई पत्रिकाओं का प्रकाशन किया। अपनी पत्रिका ‘रफ्तार टाइम्स’ में उन्होंने कई जागरूक पत्रकारों को लेकर एक न्यूज पोर्टल भी शुरू किया जिसमें कई पत्रकार जुड़े रहे।
गुडविन मसीह ने बाल साहित्य लेखन में काफी कार्य किया। 8 अगस्त 1966 को जन्मे कहानीकार श्री गुडबिन के लिखे कई नाटक ‘बस्तों की हड़ताल‘, ‘फूल खिलने लगे’ चर्चित हुए। आज कल गुडविन मसीह अजीत सक्सेना जी के साथ ‘खुश्बू मेरे देश की’ का संपादन कर रहे हैं। श्री मसीह को उ.प्र. हिंदी संस्थान ने डा. राम कुमार वर्मा बाल नाटक सम्मान से भी सम्मानित किया है।
करूणा निधि गुप्ता ने बरेली में शुरूआती दौर में प्रेस फोटोग्राफी की और बाद में उन्होंने अपना ‘ईएनआई पोर्टल’ भी प्रारंभ किया। आजकल वह अपना इसी चैनल के माध्यम से कई लोगों को अपने साथ जोड़े हुए हैं। उन्होंने अपनी एक पत्रिका का भी प्रकाशन किया जिसके कुछ ही अंक छप सके।
कंचन वर्मा लंबे समय तक ‘दैनिक आज’, ‘दैनिक जागरण’, ‘दैनिक अमर उजाला’ में कार्य किया। बाद में वह हल्द्वानी चले गये जहां उन्होंने एक लंबी पारी खेली। आजकल वह बरेली में ‘फ्रंट लाइन न्यूज’ नेटवर्क के माध्यम से अपना पोर्टल चला रहे हैं।
सौरभ शर्मा भी बरेली में आर. जे. न्यूज के नाम से अपना पोर्टल चला रहे हैं। इसके अलावा वह अपना एक न्यूज वैवसाइट भी चलाते हैं। हाल में उन्होंने ‘आर.जे.पत्रिका’ का भी प्रकाशन किया जिसका विमोचन अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक सभागार में कराया। दैनिक जागेश्वर न्यूज को मयंक गुप्ता, युवा हस्ताक्षर को मोहम्मद अली एवम विश्व आई न्यूज को भी गुप्ता निकालते हैं।
विशाल गुप्ता ने बरेली में ‘दैनिक आज’, ‘दैनिक जागरण’ में रिपोर्टिंग एवं संपादन का कार्य किया। आजकल वह बरेली में सन् 2010 से ‘बरेली लाइव’ के नाम से न्यूज पोर्टल एवम यात्रा पार्टनर चला रहे हैं। अखबारी पत्रकारिता के साथ उन्होने ‘अजमेरा इंस्टीट्यूट ऑफ मीडिया स्ट्डीज’ के नाम से पत्रकारिता संस्थान की स्थापना 2002 में की। उन्होंने ‘अजमेरा पत्रिका’ का भी प्रकाशन किया। जो बाद में बंद हो गए। मास कम्युनिकेशन से शिक्षित सचिन श्याम भारती भी बरेली लाइव से जुड़े हुए हैं। वह अच्छे उद्घोषक भी हैं।
श्री गजेन्द्र त्रिपाठी जो लंबे समय तक ‘दैनिक जागरण’ के संपादकीय विभाग में रहे। बाद में वह हिंदुस्तान में चले गये। उसके बाद वह लंबे समय हल्द्वानी ‘दैनिक जागरण’ रहे और वहीं से सेवानिवृत हुये। अब वह श्री विशाल गुप्ता जी के साथ ‘बरेली लाइव’ पोर्टल में उनके साथ जुड़े हैं।
प्रभात सिंह ने ‘दैनिक अमर उजाला’ बरेली में फोटोग्राफी से अपना कैरियर प्रारंभ किया और अपने योग्यता के बल पर सिटी प्रभारी बने। इसके बाद इलाहाबाद चले गये जहां ‘दैनिक अमर उजाला’ के संपादकीय प्रभारी के तौर पर लंबे समय तक कार्य किया। आजकल वह ‘संवाद’ न्यूज एजेंसी के साथ जुड़े हुए हैं। प्रभात जी का जन्म 7 अगस्त 1963 में हुआ और बरेली कालेज से उन्होंने स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। आजकल वह बरेली में ही निवास कर रहे हैं। उनके विभिन्न विषयों पर लिये गये फोटोग्राफ हमेशा चर्चा में रहे और उनकी सर्वत्र सराहना भी हुई।
राजेश सिंह श्रीनेत ने भी ‘दैनिक अमर उजाला’ बरेली में लंबे समय तक कार्य किया। बाद में वह ‘दैनिक जागरण’ से सिटी प्रभारी भी रहे। उन्होंने बरेली में साप्ताहिक समाचार पत्र ‘दीप टाइम्स’ का भी प्रकाशन किया। श्री राजेश जी की गजलों में भी रूचि रही। उनके भाई श्री दिनेश श्रीनेत भी अमर उजाला में कार्यरत रहे। अजीत बिसरिया भी बरेली अमर उजाला के बाद अब लखनऊ अमर उजाला में कार्यरत हैं। अजय सक्सेना भी अमर उजाला में हैं। गौतम भी अपराध प्रतिनिधि रहे थे।
चन्द्रकांत त्रिपाठी बनारस में स्वतंत्र भारत दैनिक से ‘दैनिक अमर उजाला’ बरेली में आये और यहां सी. के. त्रिपाठी के नाम से उनकी पहचान बनी। ‘दैनिक अमर उजाला’ के विज्ञापन विभाग में उन्होंने लंबे समय तक तक काम किया। इसके बाद वह ‘दैनिक जागरण’ में प्रबंधक होकर आ गये। जहां उन्होंने महाप्रवंधक से लेकर स्थानीय संपादक तक की भूमिका में लंबे समय तक कार्य किया। सी. के. त्रिपाठी ने बरेली में रहकर कई प्रयोग भी किये और दैनिक जागरण मुरादाबाद, हल्द्वानी यूनिट का विस्तार कराने तक कार्य किया। बाद में उनका गोरखपुर तबादला हुआ। ‘दैनिक जागरण’ से सेवानिवृत्त होकर वह पुनः बरेली आ गये। यहां से सांध्य ‘दैनिक नमस्कार’ का प्रकाशन शुरू कराया। पर ये अखबार जल्दी ही दम तोड़ गया। आजकल त्रिपाठी जी ‘नमस्कार पोर्टल’ एवम रुहेलखंड पोस्ट साप्ताहिक पत्र चला रहे हैं।जिसे राजीव शर्मा, गणेश पथिक देख रहे हैं।
बच्चन सिंह ने भी बनारस से बरेली आकर ‘दैनिक जागरण’ में समाचार संपादक के रूप में लंबी पारी खेली। उन्होंने संपादकीय विभाग को लेखन में कई तरह से छूट भी दी। साथ ही वह ‘दैनिक जागरण’ के लिए अपना साप्ताहिक कालम नियमित लिखते थे। ‘दैनिक जागरण’ के बाद बरेली में उन्होंने ‘संवाद केसरी’ में संपादक के रूप में कार्य किया। बरेली में उन्होंने पत्रकारिता को एक अलग पहचान दिलायी। वह बरेली के समाज के कई वर्गों में लोकप्रिय रहे तथा लोग उन्हें अपने कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बुलाते थे। इलाहाबाद पत्रिका के बाद रामधनी द्विवेदी भी बरेली आ गए। रामधनी जी जागरण में समाचार संपादक कई वर्ष रहे। वह होमियोपैथी से उपचार करने में भी दक्ष हैं। आजकल दैनिक जागरण नोएडा में हैं।
अनिल के. अंकुर ने भी बरेली ‘दैनिक जागरण’ में लंबे समय तक संपादकीय विभाग में काम किया। वह ‘दैनिक जागरण’ में सिटी इंचार्ज भी रहे। बाद में वह ‘दैनिक हिंदुस्तान’ लखनऊ चले गये। आजकल वह लखनऊ में ही ‘जनता न्यूज चैनल’ में कार्य कर रहे हैं। इलाहाबाद के संजय श्रीवास्तव भी जागरण में रहे।
अनिल श्रीवास्तव ने भी ‘दैनिक जागरण’ बरेली में भी सिटी इंचार्ज पद पर रहे। उन्होंने लंबे समय तक ‘दैनिक जागरण’ में कई बीटों पर कार्य किया। आजकल वह ‘दैनिक अमर उजाला’ गाजियाबाद में संपादकीय विभाग में कार्यरत हैं।
संजीव पालीवाल भी बरेली में ‘दैनिक आज’ के बाद ‘दैनिक जागरण’ में आ गये। उन्होंने बरेली ‘दैनिक जागरण’ में रिपोर्टिंग में लंबी पारी खेली। इसके बाद वह मुरादाबाद ‘दैनिक अमर उजाला’ में चले गये। कुछ समय वहां कार्य करने के उपरांत उन्होंने दिल्ली जाकर न्यूज चैनल की राह पकड़ी। आजकल वह ‘आजतक न्यूज चैनल’ में उच्च पद पर हैं। हाल ही में उन्होंने ‘नैना’ नामक उपन्यास भी लिखा जो काफी चर्चित रहा। उनके पिता जे.सी.पालीवाल शहर के जाने-माने समाजसेवी और नाटककर्मी हैं। जिन्हें कबीर पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
इकबाल रिजवी ने भी बरेली ‘दैनिक जागरण’ में अपना कैरियर शुरू कर दिल्ली में न्यूज चैनल की राह पकड़ी। वर्तमान में श्री इकवाल रिजवी ‘आजतक’ न्यूज चैनल में कार्यरत हैं। किला निवासी श्री इकवाल रिजवी बरेली में काफी मिलनसार और लोकप्रिय रहे।
मो. तस्लीम ने भी अपना कैरियर ‘दैनिक अमर उजाला’ से शुरू किया। इसके बाद वह संजीव पालीवाल के साथ दिल्ली में एक चैनल में कार्य करने लगे। वर्तमान में श्री तस्लीम ‘आजतक’ न्यूज चैनल आर्थिक डेस्क के प्रभारी हैं।
पंकज शुक्ला इलाहाबाद से अपने पिता श्री अखिलेश शुक्ला जी के साथ बरेली आये। बरेली में उनके पिता अखिलेश जी ‘दैनिक जागरण’ में रिपोर्टिंग करते थे। अखिलेश जी के ‘दैनिक जागरण’ छोड़ने के बाद पंकज शुक्ला ने ‘दैनिक जागरण’ में अपनी रिपोर्टिंग प्रारंभ की। श्री पंकज शुक्ला एक तेज-तर्रार रिपोर्टर रहे प्रशासन के बाद उन्होंने विकास भवन जैसी वीटों पर भी बेहतर रिपोर्टिंग कर अपने हुनर का परिचय दिया। कुछ समय बाद दिल्ली के एक न्यूज चैनल में कार्य करने लगे पर उनका मन वहां नहीं लगा और उन्होंने वहां देहरादून का ‘दैनिक राजसत्ता’ को खरीद कर दिल्ली से राजसत्ता नामक पोर्टल का संचालन किया। पिछले दिनों उनकी हृदय रोग से दुखद मृत्यु हो गई। उपजा प्रेस क्लब बरेली ने उनके नाम पर एक कोष का भी संचालन प्रारंभ किया है जिससे नगर के एक बेहतर रिपोर्टर को पुरस्कृत करने की भी योजना है।
फिरासत हुसैन ‘दैनिक विश्व मानव’ में कार्य करने के बाद ‘दैनिक जागरण’ की राह पकड़ी और खेल की रिपोर्टिंग के साथ ही खेल पेज का भी काफी लंबे समय तक संपादन किया। आजकल वह ‘दैनिक स्वतंत्र भारत’ के लिए कार्य कर रहे हैं। श्री फिरासत हुसैन उपजा बरेली के महामंत्री भी रहे।
फहीम करार युवा पत्रकार हैं उन्होंने बरेली से बच्चों के लिए तितली पत्रिका भी निकाली। उन्होंने ‘दैनिक जनमोर्चा’ में भी संपादन का कार्य किया वह उपजा के भी कर्मठ सदस्य रहे। श्री फहीम करार ने उपजा के आगरा एवं कोटा सम्मेलन में भी भाग लिया।
महबूब आलम ‘दैनिक विश्वमानव’ में रहे इसके बाद वह ‘दैनिक जागरण’ में आ गये। ‘दैनिक जागरण’ में उन्होंने रिपोर्टिंग के साथ संपादन का भी कार्य किया। आजकल वह दैनिक अमर उजाला बरेली में कार्यरत है। श्री महबूब आलम एक रंगकर्मी भी है।
राजीव सक्सेना लखनऊ के ‘दैनिक जागरण’ से स्थातंरित होकर बरेली ‘दैनिक जागरण’ आये श्री राजीव सक्सेना ने लंबे समय तक दैनिक जागरण में खेल पेज का संपादन किया। इसके बाद वह ‘दैनिक अमर उजाला’ में चले गये। अमर उजाला छोड़ने के बाद वह बरेली में ‘केनविज टाइम्स’ में भी रहे। वर्ष 2021 में उनका निधन हो गया।
आशीष अग्रवाल ने दैनिक ‘दैनिक अमर उजाला’ बरेली में लंबे समय तक संपादकीय विभाग की विभिन्न डेस्कों पर लंबी पारी खेली। आशीष अग्रवाल अमर उजाला के एक मजबूत स्तंभ रहे। उनकी बेहतर रिपोर्टिंग हमेशा चर्चा में रही। बाद में आशीष अग्रवाल ‘दैनिक जागरण’ आ गये। बरेली ‘दैनिक जागरण’ में भी वह सिटी इंचार्ज रहे। इसके बाद वह दिल्ली चले गये और वहां से एक पाक्षिक पत्रिका भी निकाली। वर्तमान मे आशीष अग्रवाल ‘प्रसार भारती’ से जुड़े हुए हैं। श्री आशीष अग्रवाल श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के भी बरेली में सर्वेसर्वा रहे। 20 अप्रैल 2021 को उनकी मृत्यु हो गई
अनुपम मार्कण्डेय ने ‘दैनिक बिजनौर टाइम्स’ से अपना कैरियर शुरू किया। इसके बाद उन्होंने वह रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय में कार्य करने लगे। रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय की नौकरी छोड़ कर ‘दैनिक अमर उजाला’ में आ गये जहां उन्होंने लंबे समय तक जनरल डेस्क पर कार्य किया। ‘’दैनिक अमर उजाला’ छोड़ने के बाद वह ‘दैनिक जागरण’ मुरादाबाद आ गये वहां प्रभारी भी बने। उन्होंने कुछ दिन ‘कैनविज टाइम्स’ में भी कार्य किया। श्री मार्कण्डेय उपजा से लंबे समय तक जुड़े रहे और उपजा के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे।
पवन सक्सेना ने भी अपना कैरियर एक शिक्षक के रूप में प्रारंभ किया। बाद में वह ‘दैनिक अमर उजाला’ में आ गये। लंबे समय तक वह रिपोर्टिंग भी करते रहे। उनकी गिनती भी एक तेज तर्रार रिपोर्टर के रूप में रही। उसके बाद वह ‘दैनिक जागरण’ बरेली में आ गये और ‘दैनिक जागरण’ में सिटी इंचार्ज बने। श्री पवन सक्सेना को कलकत्ता के ‘टेलीग्राफ’ ने बेहतर प्रेस रिपोर्टर के पुरस्कार से भी नवाजा। श्री पवन सक्सेना उपजा के महामंत्री रहने के बाद में वर्तमान उपजा बरेली के अध्यक्ष हैं। साथ ही वह अपना व्यापार भी कर रहे हैं।
विनीत सक्सेना ने भी ‘दैनिक जागरण’ बरेली में लंबे समय तक रिपोर्टिंग का कार्य किया। इसके बाद वह ‘दैनिक अमर उजाला’ में चले गये और अलीगढ़ और गाजियाबाद में ‘दैनिक अमर उजाला’ संपादकीय प्रभारी पद संभाला। विनीत सक्सेना ‘दैनिक अमर उजाला’ बरेली के संपादक पद पर कार्यरत रहे। आजकल नोएडा में हैं।
संजीव अरोड़ा ने भी ‘दैनिक जागरण’ में विभिन्न डेस्कों पर कार्य करने के बाद ‘दैनिक अमर उजाला’ की राह पकड़ी। आजकल वह अपने सर्जिकल व्यवसाय से जुड़े हुये हैं।
संजीव कुमार शर्मा ‘गंभीर’ बरेली कालेज में छात्र परिषद से जुड़े रहे और विवेकानंद के समर्थक रहे। कानून की शिक्षा के बाद श्री संजीव गंभीर ‘दैनिक जागरण’ से जुड़े और लंबे समय तक ‘दैनिक जागरण’ में रिपोर्टिंग का कार्य किया। आजकल वह अपना ‘गंभीर न्यूज’ अखबार निकाल रहे हैं। वह उपजा के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे।
अखिलेश सक्सेना ने भी ‘दैनिक विश्व मानव’ में लंबे समय तक डेस्क पर कार्य किया। इसके बाद ‘दैनिक जागरण’ बरेली आ गये। ‘दैनिक जागरण’ बरेली में रहकर वह कुमायूं डेस्क के प्रभारी रहे। जब दैनिक जागरण हल्द्वानी से प्रारंभ हुआ तो वह दैनिक जागरण हल्द्वानी में चले गये और वहां भी लंबे समय डेस्क पर कार्य किया।
गोपाल विनोदी ने ‘दैनिक अमर उजाला’ से अपना कैरियर शुरू किया और लंबे समय तक रिपोर्टिंग एवं संपादन का कार्य किया। श्री गोपाल विनोदी एक कवि भी है और कविता का उनका एक संग्रह ‘मेरी रोटी’ के नाम से प्रकाशित हो चुका है। रस्तोगी जी भी अमर उजाला में रहे।
सुधीर सक्सेना ने लंबे समय तक ‘दैनिक अमर उजाला’ में कार्य किया बाद में वह ‘दैनिक जागरण’ में आ गये। वह बिक्रीकर विभाग में भी कार्यरत थे। एक दुर्घटना में उनका निधन हो गया था।
अशोक कुमार वैश्य ने भी अपना कैरियर ‘दैनिक अमर उजाला’ से प्रारंभ किया। श्री अशोक वैश्य नगर के काफी लोकप्रिय पत्रकार रहे। श्री अशोक वैश्य समाज के कई संगठनों से भी जुड़े रहे। अशोक वैश्य जी भारतीय खाद्य निगम के बरेली कार्यालय से सेवानिवृत्त हुए।
रामा बल्लभ शर्मा कुंवर दया शंकर इंटर कालेज के छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे। बरेली कालेज से कानूनी शिक्षा के बाद जिला बार एसोसियेशन के सचिव भी रहे। श्री रामा बल्लभ लंबे समय तक ‘दैनिक अमर उजाला’ में अदालतों की रिपोर्टिंग का कार्य भी करते रहे। इसके बाद वह ‘दैनिक दिव्य प्रकाश’ में आये। श्री रामा बल्लभ ने बरेली में ‘दैनिक जागरण’ के लिए विधि रिपोर्टिंग का कार्य भी किया। इनका 30 अप्रैल 2021 को निधन हो गया।
उदित साहू ने ‘दैनिक अमर उजाला’ में लंबे समय तक संपादकीय प्रभारी के रूप में कार्य किया। आगरा निवारी श्री उदित साहू बरेली में अपनी विचारधारा के चलते कई संगठनों से भी जुड़े रहे। ‘दैनिक अमर उजाला’ से रिटायरमेंट के बाद वह आगरा चले गये जहां कुछ-कुछ वर्ष पूर्व उनका निधन हो गया।
वीरेन डंगवाल ने जार्ज फर्नाडीज के अखबार के ‘प्रतिपक्ष’ के बरेली प्रतिनिधि रहे। श्री वीरेन डंगवाल ने बरेली कालेज में अध्यापन का कार्य भी किया। बाद में वह लंबे समय तक ‘दैनिक अमर उजाला’ के संपादकीय प्रभारी भी रहे। कुछ समय पूर्व ही उनका निधन हो गया।
कन्हैया लाल बाजपेई ने भी बरेली के ‘दैनिक अमर उजाला’ के संपादकीय विभाग में लंबे समय तक कार्य किया। बाद में वह ‘दैनिक विश्व मानव’ में आ गये। खाद्य निगम में नौकरी लगने के बाद वह अधिकारी बनकर कानपुर चले गये।
श्री भगवान सुजानपुरिया ‘दैनिक अमर उजाला’ के संपादकीय विभाग में आगरा से आये थे। बाद में उन्होंने ‘दैनिक विश्व मानव’ में भी कार्य किया। जब दिल्ली में ‘दैनिक जनसत्ता’ शुरू हुआ तो वह उसके संपादकीय विभाग में चले गये। दिल्ली में ही उनकी मृत्यु हुई।
सुनील शाह दैनिक ‘दैनिक अमर उजाला’ में रहे। जब दिल्ली में ‘दैनिक जनसत्ता’ शुरू हुआ तो वह संपादकीय विभाग की टीम में शामिल हो गये। बाद में वह पुनः ‘दैनिक अमर उजाला’ में लौट आये और ‘दैनिक अमर उजाला’ के संपादकीय प्रभारी बने। उनकी अल्पकाल में मृत्यु हो गई।
शिव कुमार अग्रवाल ने लंबे समय तक ‘दैनिक अमर उजाला’ के कारोबार पृष्ठ से जुड़े रहे। वह बरेली के बाजार भाव ‘दैनिक अमर उजाला’ को उपलब्ध कराते थे। साथ ही विभिन्न विषयों पर अपनी रिपोर्टिंग भी ‘दैनिक अमर उजाला’ को भेजते थे। बाद में वह ‘दैनिक जागरण’ से जुड़ गये। व्यापारी नेता के साथ ही वह कई संगठनों से जुड़े लोकप्रिय व्यक्ति थे। 11 सितम्बर 2017 को उनका निधन हुआ।
पवन चन्द पुत्र श्री हरीश गुप्ता ने अपना कैरियर ‘दैनिक अमर उजाला’ से शुरू किया और आजकल भी वहीं कार्यरत हैं। विनोद कापड़ी भी दैनिक जागरण के बाद अमर उजाला में गए। बरेली में उन्होंने इकोनामी पत्रिका भी निकाली। बाद में वह दिल्ली जाकर न्यूज चैनल में कार्यरत हो गए।
जितेन्द्र भारद्वाज मुजफ्फरनगर से बरेली आये और ‘दैनिक विश्व मानव’ में संपादकीय प्रभारी रहे। उनकी समाचारों पर पैनी पकड़ थी। बाद में वह दिल्ली चले गये और कृषि जगत अखबार से जुड़ गये जहां उन्होंने कई वर्षों तक कार्य किया।
शंकर दास ने भी अपना कैरियर ‘दैनिक विश्व मानव’ से शुरू कियाऔर विभिन्न विषयों पर लेखन कार्य करते रहे। शंकर दास बाद में ‘दैनिक स्वतंत्र भारत’ एवं ‘दैनिक जनसत्ता’ के बरेली प्रतिनिधि भी हो गये। बरेली उपजा से जुड़े श्री शंकर दास उपजा बरेली के अध्यक्ष भी रहे और उन्होंने आगरा, हरिद्वार आदि उपजा के सम्मेलनों में भाग भी लिया।
रामगोपाल शर्मा बरेली में ‘दैनिक विश्व मानव’ के संपादक रहे। श्री रामगोपाल शर्मा लंबे समय तक ‘आकाशवाणी’ के बरेली प्रतिनिधि भी रहे। मिलनसार श्री शर्मा नगर में काफी सामाजिक व्यक्ति रहे। कुछ साल पहले उनका निधन हुआ।
सतीश कमल ‘दैनिक विश्व मानव’ में काफी समय तक जुड़े रहे। बाद में वह वकालत पेशे में चले गये। श्री सतीश कमल कायस्थ सभा में भी काफी सक्रिय रहे।
महेन्द्र मनुज ने भी ‘दैनिक विश्व मानव’ से अपना कार्य शुरू किया। बाद में वह ‘दैनिक विश्व मानव’ से करनाल एडिशन में चले गये। बरेली में भी उन्होंने अपना एक साप्ताहिक पत्र निकाला। वह उपजा के कर्मठ सदस्य रहे। और उपजा के इलाहाबाद आदि सम्मेलनों में भी भाग लिया।
नवीन सक्सेना ने अपना कैरियर ‘दैनिक आज’ से शुरू किया वह दैनिक आज में कई बीटों पर रिपोर्टिंग करते रहे। बाद में वह ‘दैनिक जागरण’ से जुड़ गये और बदायूं में लंबे समय तक कार्य किया। इसके बाद वह हल्द्वानी ‘दैनिक अमर उजाला’ से जुड़ गये और आजकल वहीं कार्यरत हैं।
गीतेश जौली ने अपना कैरियर ‘दैनिक आज’ से शुरू किया और लंबे समय तक आज के लिए रिपोर्टिंग का कार्य करते रहे। इसके बाद वह ‘दैनिक अमर उजाला’ से जुड़ गये।अजय सक्सेना भी दैनिक जागरण के बाद आजकल वह अमर उजाला के संपादकीय विभाग में कार्यरत हैं।
सुनील सक्सेना ने अपना कैरियर ‘दैनिक आज’ से शुरू किया। सुनील सक्सेना ने अपने साथी प्रशांत रायजादा के साथ मिलकर ‘पत्रकार स्पोर्टस’ का गठन किया। बरेली स्टेडियम में उन्होंने अपनी मां शकुंतला देवी की स्मृति में क्रिकेट टूनामेंट भी कराये जिसमें रणजी खिलाड़ियों ने भी भाग लिया।
प्रशांत रायजादा भी ‘दैनिक आज’ में लंबे समय तक जुड़े हुए है। उनका शहर की हर गतिविधयों में उपस्थिति रहती है। खासकर नगर निगम की रिपोर्टिंग में अच्छी पकड़ है। वह उपजा संगठन से भी जुड़े हुए हैं।
जनार्दन आचार्य लंबे समय तक ‘आकाशवाणी एवं दूरदर्शन’ के संवाददाता रहे। जनार्दन आचार्य कई सामाजिक संगठनों से जुड़े हुए है तथा उपजा की प्रदेश कार्यकारिणी में सचिव पद पर रहे। उन्होंने कई उपजा सम्मेलनों में भाग लिया।
सरदार कमल जीत सिंह ने दैनिक जनमोर्चा बरेली से शुरू किया । उनके निधन के बाद अब सरदार गुरविंदर सिंह जनमोर्चा संभाल रहे हैं। आशीष सक्सेना एवम सुभाष चौधरी ‘दैनिक जनमोर्चा’ में कार्यरत है। सुभाष चौधरी उपजा के सक्रिय सदस्य भी रहे। उन्होंने इलाहाबाद सहित कई उपजा सम्मेलनों में एवं दिल्ली के प्रदर्शन में भी भाग लिया। कुमुद शर्मा भी जनमोर्चा में ही है। राजेश सक्सेना, शंकर लाल दैनिक शाह टाइम्स से जुड़े हैं।
महेश पटेल ‘दैनिक केनविज टाइम्स’ में कई समय तक कार्यरत रहे बाद में वह कई समाचार पत्रों में रहे। श्री महेश पटेल उपजा के भी कर्मठ सदस्य है तथा उपजा की प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य भी रहे। विनय चौहान ‘सी न्यूज चैनल’ से जुडे़ हुए हैं। श्री चौहान उपजा के सक्रिय सदस्य भी हैं। आर जी शर्मा भी कई पोर्टल से जुड़े हैं। उन्होंने आगरा से कई उपजा सम्मेलनों में भाग लिया।
राम भरोसे लाल उर्फ आर. बी. लाल ने भी ‘दैनिक विश्व मानव’ से अपना कैरियर शुरू किया। ‘दैनिक जागरण’ में रहने के बाद वह आजकल ‘अमर उजाला’ से जुड़े हुए हैं। आर. बी. लाल रोडवेज के कर्मचारी भी रहे और वही से सेवानिवृत्त हुए।
आर. के. सिंह ने ‘दैनिक जागरण’ से लंबे समय तक जुड़े रहे और उन्होंने कई विभागों की रिपोर्टिंग का कार्य किया। आजकल वह एक न्यूज एजेंसी से जुड़े हुए हैं।
सुगोद नाथ त्रिपाठी ‘दैनिक नवसत्यम’ के बाद दैनिक जागरण से जुड़ गये और विभिन्न समाचार डेस्कों पर काम करने के बाद ‘दैनिक जागरण’ से ही सेवानिवृत्त हुए। मिलनसार रहे त्रिपाठी का कुछ समय पूर्व 2019 में ही उनका निधन हुआ।
हरिशंकर सक्सेना लंबे समय तक ‘दैनिक अमर उजाला’ से जुड़े रहे। मूलतः तिलक इंटर कालेज के अध्यापक रहे हरिशंकर जी शहर के जाने-माने कवि व साहित्यकार भी हैं। अब अपनी ‘निर्झरिणी’ पत्रिका का संपादन करते हैं। हरी शंकर शर्मा ने बरेली में रहकर राधे श्याम कथावाचक पर कुछ पुस्तक भी लिखी। बाद में वह जयपुर में शिक्षक हो गए। ए बी नूतन ने नूतन कहानियों के लिए बरेली से सत्य कथा लेखन किया।
अमिताभ सक्सेना ‘दैनिक अमर उजाला’ से जुड़े रहे। किशन सरोज के पुत्र श्री अमिताभ ‘अमर उजाला’ में रिपोर्टिंग का कार्य करते थे उनकी अल्पआयु में ही मृत्यु हो गई।
ब्रजेन्द्र निर्मल बदायूं से आकर ‘दैनिक अमर उजाला’ से जुड़े और लंबे समय तक रिपोर्टिंग का कार्य भी किया। बाद में वह ‘दैनिक केनविज टाइम्स’ में चले गये।
अमिताभ मिश्रा ‘दैनिक अमर उजाला’ की विभिन्न डेस्कों पर संपादन का कार्य किया। बाद में वह ‘दैनिक अमर उजाला’ लखनऊ में चले गये। उनके पिता अखिलेश मिश्रा भी ‘दैनिक स्वतंत्र भारत’ लखनऊ में कार्यरत रहे और उपजा संगठन से भी जुड़े रहे।
शंभु दयाल बाजपेई काफी समय तक ‘दैनिक जागरण’ में कार्यरत रहे। बाद में वह ‘दैनिक जागरण’ हल्द्वानी के संपादकीय प्रभारी बने। आजकल वह ‘दैनिक अमृत विचार’ के संपादक हैं। वह एक अच्छे लेखक भी हैं। उनके पुत्र दिल्ली में वकालत करते हैं।
पूरन लाल शर्मा ने ‘दैनिक दिव्य प्रकाश’ से अपना कैरियर शुरू किया बाद में वह ‘दैनिक जागरण’ में आ गये। आजकल वह ‘दैनिक संवाद केसरी’ में कार्यरत हैं।
के. के. सक्सेना ने भी अपना कैरियर ‘दैनिक जागरण’ से शुरू किया वह ‘दैनिक जागरण’ के बदायूं, पीलीभीत व्यूरों में कार्यरत रहे। उसके बाद वह ‘दैनिक अमृत विचार’ में चले गये। आजकल ‘दैनिक अमर उजाला’ से जुड़े हुए हैं।
राकेश उपाध्याय ने अपना कैरियर ‘नवसत्यम’ से शुरू किया और लंबे समय तक ‘दैनिक पंजाब केसरी’ के बरेली संवाददाता भी रहे।
संजीव द्विवेदी मुरादाबाद से बरेली आये और ‘दैनिक जागरण’, ‘दैनिक अमर उजाला’ में लंबे समय तक रिपोर्टिंग का कार्य किया। श्री द्विवेदी एक बेहतर एवं लगनशील रिपोर्टर रहे जो समय पर अपनी रिपोर्ट फाइल करने में विश्वास रखते थे। संजीव द्विवेदी आजकल ‘दैनिक दो टूक’ के संपादक हैं।
शरद मौर्य बनारस से ‘दैनिक जागरण’ बरेली में आये और लंबे समय तक संपादन का कार्य किया बाद में शरद मौर्य ‘दैनिक अमर उजाला’ में चले गये आजकल आगरा में कार्यरत हैं।
रामधनी द्विवेदी देनी जागरण में समाचार संपादक रहे। मदन मोहन सिंह अपने बड़े भाई शिव प्रसाद सिंह के साथ ‘दैनिक जागरण’ बरेली में आये और लंबे समय तक रिपोर्टिंग का कार्य किया। मदन मोहन सिंह ‘दैनिक जागरण’ नोएडा में कार्यरत हैं।
प्रवीण शर्मा ‘दैनिक जागरण’ रिपोर्टिंग में रहे और बाद में कानपुर रहे । उनके बड़े भाई विपिन शर्मा भी दैनिक जागरण के संपादकीय प्रभाग में रहे। आजकल श्री विपिन शर्मा व्यापार कर अधिकारी हैं।
विपुल राज सिंह ‘दैनिक अमर उजाला के बाद ‘दैनिक जागरण’ में आ गये उन्होंने प्रशासन वीट पर लंबे समय तक रिपोर्टिंग का कार्य किया। उन्होंने कुछ दिन ‘दैनिक जागरण’ के लिए फोटोग्राफी का कार्य किया। श्री विपुल राज कुछ समय ‘दैनिक जनमोर्चा’ में भी रहे।
विनीत सिंह आगरा से बरेली आये ‘दैनिक अमर उजाला’ के बाद लंबे समय तक ‘दैनिक जागरण’ में कार्य किया। श्री विनीत सिंह अपनी बेहतर रिपोर्टिंग के लिए शहर में एक अलग पहचान बनाई। बरेली कालेज के मीडिया सेक्शन में भी उन्होंने कुछ दिन कार्य किया। वर्तमान श्री विनीत सिंह ‘दैनिक भास्कर’ के बाद आजकल टी सी आई मीडिया, कोटा में कार्य कर रहे हैं।
अनुरोध भारद्वाज बदायूं से ‘दैनिक जागरण’ में आये बाद में वह ‘दैनिक हिंदुस्तान’ चले गये और वहां बरेली सिटी के प्रभारी बने। वह मेरठ में ‘दैनिक हिंदुस्तान’ मेरठ में कार्यरत रहे। आजकल अपना एक पोर्टल ‘खबरची’ भी चला रहे हैं। मोहम्मद वसीम दैनिक जागरण के बाद अब दी लीडर पोर्टल चला रहे हैं।
तारिक सईद ‘दैनिक आज’ से जुड़े हुए है और लंबे समय तक क्राइम रिपोर्टिंग का कार्य देख रहे हैं। तारिक सईद को सभी पत्रकारों का सम्मान मिलता है और वह पत्रकारों के बीच में लोकप्रिय हैैं। धर्मेन्द्र सिंह बंटी ‘दैनिक प्रभात’ के स्थानीय संवाददाता रहे। वर्तमान में धमेन्द्र बंटी ‘उपजा प्रेस क्लब’ के महामंत्री है वह एक अच्छे क्रिकेट खिलाड़ी भी है।
आशीष जौहरी वर्तमान में ‘सहारा समय’ चैनल से जुड़े हुए हैं। वर्तमान में आशीष जौहरी कायस्थ सभा सहित कई संगठनों से भी जुड़े हैं। वह एक अच्छे गायक कलाकार भी हैं। डा. राजेश शर्मा ‘दैनिक विश्व मानव’ के ‘सिटी न्यूज चैनल’ में कार्यरत रहे और कई लोगों के इंटरव्यू भी प्रसारित कराये आजकल वह आकाशवाणी के साथ महत्वपूर्ण लोगों के इंटरव्यू लेने का कार्य करते हैं। उनके इंटरव्यू यूट्यूब चैनल पर भी देखे जा सकते हैं।
विजय सिंह बरेली में ‘दैनिक स्वतंत्र चेतना’ के पत्रकार हैं और उपजा से भी जुड़े हैं।
अशोक शर्मा उर्फ लोटा ‘दैनिक विधान केसरी’ से जुड़े हुये हैं और एक अच्छे हास्य कवि भी हैं। शंकर लाल भी शाह टाइम्स सहित कई दैनिक से जुड़े हैं। पुत्तन सक्सेना, रोचानी भी दिव्य प्रकाश से जुड़े रहे।
रवि सक्सेना ‘दैनिक वीर अर्जुन’ से जुड़े हैं और एक पत्रकार संगठन बरेली मीडिया क्ल्ब के पदाधिकारी भी हैं।
मोहम्मद समी अहमद ‘दैनिक शेखर टाइम्स’ से जुड़े हुए हैं और एक पत्रकार संगठन बरेली मीडिया क्लब के अध्यक्ष भी हैं। समी अहमद खां अच्छे रिपोर्टर है और पत्रकारों के बीचों काफी लोकप्रिय हैं।
मो. युसूफ दैनिक विश्व मानव में कार्यरत रहे और इनका 23 मई 2021 को निधन हो गया।
अशर्फी लाल ‘दैनिक विश्व मानव’ से अपना कैरियर शुरू किया और बाद में लखनऊ से आने वाले ‘दैनिक जागरण’ के बरेली प्रतिनिधि हो गये। आजकल वह ‘दैनिक राष्ट्रीय सहारा’ बरेली में हैं। श्री अशर्फी लाल उपजा से भी जुड़े रहे। मोहम्मद अरशद भी सहारा में रहे।
राजीव शर्मा ‘दैनिक राष्ट्रीय सहारा’ कार्यालय में कार्यरत रहे। आजकल श्री राजीव शर्मा दिल्ली में अपना पोर्टल चला रहे हैं।
रमेश गौतम भी ‘दैनिक विश्व मानव’ में साप्ताहिक परिशिष्ट के प्रभारी रहे। एस. वी. इंटर कालेज में शिक्षक रहे रमेश गौतम एक अच्छे नवगीतकार भी है। उनके गीतों की दो पुस्तकें अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं।
सुरेन्द्र बीनू सिन्हा ‘दैनिक अमर उजाला’ दैनिक दिव्य प्रकाश’ से जुड़े रहे। वर्तमान में वह ‘विविध संवाद’ पत्रिका के संपादक भी हैं। वह भारतीय पत्रकारिता संस्थान, बरेली भी चलाते हैं। इसके अलावा वह मानव सेवा क्लब के अध्यक्ष भी हैं।
रघुवीर चौहान ‘दैनिक आज’ के बाद ‘दैनिक जागरण’ में आ गये और काफी समय तक रिपोर्टिंग का कार्य किया। श्री रघुवीर चौहान आजकल ‘दैनिक अमर उजाला’ में कार्यरत हैं।लक्ष्मण भंडारी, चंद्र प्रकाश शुक्ला, जितेंद्र सिंह भी अमर उजाला के बाद कैनविज या अन्यत्र चले गए थे।
राजेश गौड़ भी ‘आकाशवाणी बरेली’ में कार्यक्रम अधिकारी रहे और आकाशवाणी बरेली से सेवानिवृत्त हुये। राजेश गौड़ आजकल भी आकाशवाणी, बरेली पर कुछ कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं। वह काफी अच्छे गायक कलाकार भी हैं।
रवीन्द्र मिश्रा आकाशवाणी में रिपोर्टिंग का कार्य भी करते हैं उन्होंने अपना एक स्टुडियो भी बना रखा है जहां वह अपने कार्यक्रम तैयार करते हैं।
दिनेश पवन, प्रवीण शंखधार, शैलेश शर्मा, मलिक राजपूत, विक्रांत साहू, ए. के. आजाद सांध्य कालीन ‘दैनिक दो टूक’ में कार्यरत हैं। राम गोपाल शर्मा, विनोद भसीन, राजेंद्र गड़वाली, राजेंद्र पांडे, हरी ओम गुप्ता, संजय सक्सेना, सुभाष शर्मा, दैनिक विश्वमानव में रहे। राकेश मथुरिया आंवला में, राजेन्द्र वर्मा आंवला में, नत्थूलाल मीरगंज में, उमेश पांडेय फरीदपुर में कार्यरत रहे। निर्मल कांत शुक्ला, मेघाव्रत्त मिश्रा, देवेन्द्र देवा, अरूण पाराशरी, श्याम सुन्दर भाटिया, उमेश लव, चन्देक बिष्ट, सुरेश पाण्डेय, संजीव कुमार शर्मा गंभीर, विपुल राज सिंह ने भी लंबे समय तक ‘दैनिक जागरण’ के ब्यूरो कार्यालय में काम किया।
बरेली में महिला पत्रकारों में पूनम भारत, मनु नीरज, सुचित्रा डे, शिल्पी गुप्ता, नूतन सक्सेना, सोनाली, शाईस्ता, नाजिया अंजुम, रक्क्षंदा, दीक्षा आदि महिला पत्रकारों ने लंबे समय तक काम किया।
बरेली के मान्यता प्राप्त पत्रकारों की सूची
अजय शर्मा छायाकार, उमेश शर्मा छायाकार, वसीम अहमद संवाददाता ;दैनिक जागरणद्ध, प्रदीप चन्द्र तिवारी संवाददाता, आमोद कुमार संवाददाता, आशीष दीक्षित, संवाददाता, अवनीश कुमार पाण्डेय, संवाददाता ;दैनिक हिन्दुस्तानद्ध, राजीव रंजन संवाददाता, राकेश कुमार कश्यप छायाकार, राजीव कुमार चौहान ;दैनिक आजद्ध, कुमुद शर्मा, संवाददाता, प्रदीप कुमार मिश्रा, संवाददाता, विवेक मिश्रा, संवादाता ;दैनिक जनमोर्चाद्ध, शंकर दास, संवाददाता ;दैनिक जनसत्ताद्ध, शाहिद हुसैन संवाददाता ;दैनिक आवाम ए हिन्दद्ध, अनिल चौहान, संवाददाता, रईस अहमद ;दैनिक तर्जुमानद्ध, नफीस अहमद भारती, संपादक साप्ताहिक ;तर्जुमाने उर्दूद्ध, पदमदत्त शर्मा संपादक ;साप्ताहिक टाइटल क्रांतिद्ध, डा. दीप अग्रवाल संपादक ;साप्ताहिक संवाद केसरीद्ध, अक्षत अग्रवाल, संवाददाता ;दैनिक संवाद केसरीद्ध, श्रीमती मीनू अग्रवाल, संवाददाता ;दैनिक शीतल ग्रुप आफ संवाद केसरीद्ध, डा. रोली अग्रवाल, संवाददाता ;दैनिक उर्दू तस्वीरे ए आवामद्ध, सुश्री शीतल अग्रवाल, संवादाता ;दैनिक ब्रज टाइम्सद्ध, आफाक हुसैन संवाददाता ;साप्ताहिक आज का यो(ाद्ध, कुमार विनय संवाददाता, अखिलेश कुमार, संवाददाता, हरीश चन्द्रा, छायाकार ;सहारा समयद्ध, रमेश कुमार सिंह, संवाददाता ;पीटी आईद्ध, अशर्फी लाल शर्मा, संवाददाता ;दैनिक राष्ट्रीय सहाराद्ध, मुकेश पाण्डेय, अरविंद कुमार, प्रतिनिधि ;दूरदर्शन केन्द्रद्ध, अनूप कुमार मिश्रा ;एबीपी न्यूजद्ध, नीरज आनंद ;न्यूज 24, सुश्री नाजिया अंजुम ;दूरदर्शन केन्द्रद्ध, दीप चंद तिवारी छायाकार ;दैनिक हिंदुस्तानद्ध, दिव्य अग्रवाल दैनिक शीतल ग्रुप ;संवाद केसरी बरेलीद्ध, शोभित जौहरी उर्दू, दैनिक ;तस्वीर ए आवाम बरेलीद्ध, विकास सक्सेना ;न्यूज 18द्ध, पंकुल शर्मा ;टाइम्स आफ इंडियाद्ध, सुबोध मिश्रा ;जी न्यूजद्ध, दीपक कुमार संवाददाता ;शार्प मीडिया न्यूज एजेन्सीद्ध, कृष्ण गोपाल राज यादव ;आज तकद्ध, हरीश शर्मा ;न्यूज 18, निर्भय सक्सेना पूर्व मान्यता प्राप्त पत्रकार ;दैनिक जागरण