Sunday, January 19, 2025
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टारगेट तय करके ही करें पथ का अनुसरण

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के तीर्थंकर कुन्थनाथ कॉलेज ऑफ एजुकेशन में व्यक्तित्व विकास पर हुई दो दिनी कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि बोेले सीटीएलडी के निदेशक प्रो. आरएन कृष्णिया

ख़ास बातें :-

  • वार्तालाप में शारीरिक भाषा का महत्वः प्रो. कृष्णिया
  • व्यक्तित्व व्यक्ति के सम्पूर्ण कार्य का प्रत्यक्षीकरण
  • प्रशिक्षु टीचर्स को व्यक्तित्व विकास में निपुणता जरूरी

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के सेंटर फॉर टीचिंग, लर्निंग एंड डवपलमेंट-सीटीएलडी के डायरेक्टर प्रो. आरएन कृष्णिया ने शिक्षा के वर्तमान आंकड़ों, नौकरी परिदृश्य और राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका को बताते हुए अंग्रेजी भाषा की आवश्यकता और व्यक्तित्व को सुधारने के टिप्स दिए। प्रो. कृष्णिया बोले, हमें अपना लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए, फिर उचित पथ का अनुसरण करना चाहिए। उन्होनें वार्तालाप में शारीरिक भाषा के महत्व को भी बताया। प्रो. कृष्णिया तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ एजुकेशन की ओर से संचालित तीर्थंकर कुन्थनाथ कॉलेज ऑफ एजुकेशन में व्यक्तित्व विकास पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इससे पहले प्रो. कृष्णिया ने बतौर मुख्य अतिथि और तीर्थंकर कुन्थनाथ कॉलेज ऑफ एजुकेशन के प्राचार्य डॉ. विनोद जैन ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके वर्कशॉप का शुभारम्भ किया। इस मौके पर प्राचार्य डॉ. जैन ने रिसोर्स पर्सन का मोमेंटो देकर गर्मजोशी से स्वागत किया।

व्यक्तित्व पर बोलते हुए प्रो. कृष्णिया ने कहा, मनुष्य का व्यक्तित्व अनेक कारकों से निर्मित होता है। व्यक्तित्व परिवर्तन की एक प्रक्रिया का बोध है। व्यक्तित्व किसी व्यक्ति के सम्पूर्ण कार्य का प्रत्यक्षीकरण है। व्यक्ति का व्यवहार लक्ष्य-अभिमुखी होता है। अतः सीखना और अभिप्रेरणा जैसे विभिन्न क्रिया-कलाप उसके बाह्य व्यवहार का हिस्सा बन जाते हैं। व्यक्तित्व एक व्यापक और जटिल मनोवैज्ञानिक अवधारणा है, जिसमें सभी मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है। प्राचार्य डॉ. विनोद जैन ने बताया, प्रशिक्षु अध्यापकों को व्यक्तित्व विकास के विभिन्न पक्षों में निपुणता प्राप्त करना अति आवश्यक है। इसके अभाव में प्रभावी जीवन जीना संभव नहीं है। व्यक्तित्व विकास में व्यक्तित्व का अर्थ मनुष्य के व्यवहार की वह शैली है, जिसे वह अपने आन्तरिक और बाह्य गुणों के आधार पर प्रकट करता है। वर्कशॉप में डॉ. हर्षवर्धन, डॉ. सुनील कुमार, शिवांकी रानी, रचना सक्सेना आदि भी मौजूद रहे।