Sunday, June 15, 2025
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मदरसा मौलाना मोहम्मद अली जौहर में शहीद पण्डित चंद्रशेखर आज़ाद का जन्मदिन समाहरोहपूर्वक मनाया गया

संभल। दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे,
आज़ाद ही जिए हैँ, आज़ाद ही मरेंगे,

आज मदरसा मौलाना मोहम्मद अली जौहर मैं हिन्दुस्तान की आज़ादी के महानायक, महान क्रांतिकारी पण्डित शहीद चंद्रशेखर आज़ाद की यौम-ए-पैदाइश जन्मदिन पर उनकी तशवीर पर पुष्प अर्पित कर खिराज़ ए अक़ीदत श्रद्धांजलि पेश की गई!

इस अवसर पर मदरसा प्रबंधक मौ. फ़िरोज़ खान ने मदरसे मैं शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र छात्राओं कोई संवोधित करते हुए कहा की आज हमें शहीद चंद्रशेखर आज़ाद की ज़िन्दगी से प्रेरणा लेनी चाहिए, मुल्क़ की आज़ादी मैं अपने प्राणो की आहुति देने वाले ही हमारे सच्चे मार्गदर्शक हैं, वे हमारे आइडियल हैं अर्थात वे ही अस्ल हीरो हैँ, उन्होंने कहा यूँ तो साल मैं सैकड़ों तारीख़ आती हैँ और गुमनामी के अंधेरों मैं खो जाती हैं लेकिन 23-जुलाई का यह मुक़द्दस व मुबारक दिन इतिहास के पंनों मैं हमेशा-हमेशा के लिए मेहफ़ूज़ व मुनववर रहेगा क्योंकि आज के दिन स्व. श्रीमती जगरानी देवी व स्व. श्री सीताराम तिवारी जी के घर मध्यप्रदेश के झावरा मैं एक बालक का जन्म हुआ था, जिसकी परवरिश मुस्लिम भील व आदिवासी बच्चों के साथ रहकर हुई थी, जो आगे चलकर चंद्रशेखर आज़ाद के नाम से हिन्दुस्तान की आज़ादी के इतिहास मैं हमेशा-हमेशा के लिए अमर हो गया,

बच्चों से रूबरू होते हुए अज़रा खान ने कहा चंद्रशेखर आज़ाद ने अपना जीवन उत्सर्ग कर दिया अपनी मातृभूमि के लिए, वो लड़े आखिरी गोली बचने तक लड़े, आखिरी उम्मीद बचने तक लड़े, और फिर भी दुश्मन को अपनी हत्या करने का सुख नही भोगने दिया, स्वयं अपना जीवन समाप्त कर लिया!

मदरसे के डायरेक्टर फ़ैसल खान ने कहा की अंग्रेज हाकिमों मैं चंद्रशेखर आज़ाद का इतना खौफ़ व्याप्त था की आज़ाद की मातृभूमि के लिए शहादत के बाद भी किसी अंग्रेज हाकिम की उनके ज़नाजे को छूने की हिम्मत नहीं हो रही थी!