Monday, June 16, 2025
उत्तर प्रदेशक्राइम

कहतें हैं इंसाफ मिलने में देर जरूर हो सकती है, लेकिन अंधेर नहीं है।

प्रयागराज। इसका जीता जागता उदाहरण है उत्तर प्रदेश के बरेली के करोरा गांव के रहने वाले नौबत राम और तुला राम के मामले में आया हाईकोर्ट का आदेश।

22 जून 1999 की एक रात घर में सो रही सुखी देवी की अज्ञात बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी, जिसके बाद सुखी के पति ने अपने ही भाई और उसके दोस्त को जायदाद के लिए हैं उसकी पत्नी की हत्या करने का आरोप लगा कर मुकदमा दर्ज कराया था, पुलिस ने दोनों ही आरोपियों को गिरफ़्तार कर 1999 को ही जेल भेज दिया था। तब से दोनों आरोपी जेल में बंद थे, लंबी सुनवाई के बाद दोनो ही आरोपियों को कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई थी, दोनों ही आरोपियों ने हाई कोर्ट में जाकर एडीजे फास्ट ट्रेक कोर्ट बरेली द्वारा सुनाई गई सजा के खिलाफ अपील दायर की थी, हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद 23 साल से जेल में बंद दोनों ही आरोपियों को बाइज्जत बरी करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने माना कि हत्या के वक्त चश्मदीद गहरी नींद में सो रहे थे, आरोपी पक्ष ने कहा था कि लालटेन की रोशनी में हत्या आरोपियों को पहचाना गया था, लेकिन लालटेन बरामद नहीं हुई, पुलिस ने कहा था कि घटनास्थल पर रोशनी थी, लेकिन पुलिस साबित नहीं कर पाई।

फिलहाल 23 साल बाद दोनों ही आरोपी अब जेल से रिहा हो जाएंगे।

वैसे अगर हत्या का दोषी मानकर उन्हें कारावास भी होती तो अधिकतम 20 वर्ष उन्हें जेल में ही रहना होता।

अब 23 साल बाद वो बरी होकर जेल से बाहर आ रहे हैं।

जस्टिस अंजनी कुमार मिश्र, और जस्टिस दीपक वर्मा की संयुक्त बेंच ने दिया आदेश।